योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार से पहले पांच मंत्रियों ने अपने इस्तीफे दे दिये। यूं तो मंगलवार दोपहर से ही कई मंत्रियों के इस्तीफे की खबर सोशल मीडिया पर चलने लगी, लेकिन मंत्रियों ने खुद ही पहल कर इसे खारिज किया।

देर रात पांच मंत्रियों के इस्तीफे मंजूर कर लिये गए। सरकारी प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल और भूतत्व एवं खनिकर्म राज्य मंत्री अर्चना पांडेय ने मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंपा।
धर्मपाल, अनुपमा और अर्चना को भाजपा मुख्यालय में प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने तलब किया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तो दो दिन पहले ही एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत के चलते परिवहन मंत्री पद से अपना त्यागपत्र भेज दिया था। मंगलवार देर रात पांचों मंत्रियों के इस्तीफे मंजूर कर लिए गए। सांसद चुने जाने के बाद सत्यदेव पचौरी, प्रो. एसपी बघेल और प्रो. रीता बहुगुणा जोशी के इस्तीफे और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने से चार कैबिनेट मंत्री के पद पहले से ही रिक्त हैं।

योगी की कसौटी पर खरा न उतरने वाले कुछ और मंत्रियों की छुट्टी तय मानी जा रही है। इनमें कैबिनेट मंत्री से लेकर राज्यमंत्री तक शामिल हैं। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने अपनी अत्यधिक उम्र का हवाला देकर त्यागपत्र दिया है, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि उनके बूथ पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को सिर्फ पांच वोट मिले थे। गंगवार ने इसकी शिकायत भी की थी। तबादलों को लेकर अनुपमा की ऊपर तक शिकायत हुई थी। मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा किए गए तबादले रद कर दिए थे। इसके अलावा मुकुट बिहारी वर्मा, नंदगोपाल गुप्ता नंदी, स्वाती सिंह, चेतन चौहान, मनोहर लाल कोरी समेत कई और मंत्रियों को भी हटाने की सोशल मीडिया पर चर्चा चलती रही।
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