योगी आदित्यनाथ बोले- आतंकियों को बिरयानी नहीं गोली खिलाने की जरूरत

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो साल के शासनकाल में 2019 का लोकसभा चुनाव उनके लिए अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारी कही जा सकती है। अब तक का अनुभव मिला-जुला रहा, कुछ बड़ी जीत हासिल की तो कुछ चौंकाने वाली हार भी मिली। विपक्षी दलों का गठबंधन भी तैयार है, जिसके संयुक्त आंकड़े परेशान कर सकते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि पहले तो हमारे पास सिर्फ नाम था, इस बार काम भी है। वह सीधे-सीधे कहते हैं- लोग कांग्रेस के 55 साल के मुकाबले मोदी शासन के 55 महीने को देख भी चुके हैं और आंक भी चुके हैं। प्रत्याशी महत्वपूर्ण नहीं हैं, वोट मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा की बातचीत के प्रमुख अंश :

चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और नजरें उत्तर प्रदेश पर हैं। आप कितने तैयार हैं? 
-(हंसते हुए) पूरी तरह तैयार हैं। पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार में आएगी। अगर उत्तर प्रदेश की बात कहें तो 74 प्लस आएगा। यानी पिछली बार से भी ज्यादा।

इसे अतिविश्वास नहीं कहा जाएगा?
-यह भरोसा पैदा हुआ है काम के कारण। 2014 में मोदी जी का नाम था। अब पांच साल बाद नाम के साथ काम भी है। क्या कोई नकार सकता है कि बिना भेदभाव के सबको साथ लेते हुए सबका विकास हुआ है। गांव, गरीब, किसान, महिलाएं सबका विकास। उनकी उन मूलभूत जरूरतों को पूरा किया गया है जिन पर स्वतंत्रता के बाद से ही बातें होती रही थीं लेकिन काम नहीं हुआ था। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के मोर्चे पर जिस मजबूती के साथ काम किया, उससे देश का मनोबल बढ़ा हुआ है। भारत का नागरिक गर्व का अहसास कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को अग्रिम पंक्ति के देशों के साथ गिना जाता है। भारत सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है। रहने को घर हो, खाने को खाना, पीने को पानी और समाज में इज्जत तो और क्या चाहिए। यह सब इन पांच सालों में मिला। यह हमारा अतिविश्वास नहीं है, खुद पर विश्वास है और जमीनी आधार पर है। आज प्रत्याशी महत्वपूर्ण नहीं है, मोदी जी फिर से प्रधानमंत्री बनें और विकास का जो काम शुरू हुआ, वह तेजी से लक्ष्य तक पहुंचे, इसके लिए कोशिश हो रही है। वोट भी उसी आधार पर पड़ेगा।

भाजपा के खिलाफ विपक्ष की गोलबंदी हुई है। 2014 के बाद समीकरण बहुत बदल चुका है और खुद अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में आपने इसका असर भी देखा है?
-आप यह क्यों भूल जाते हैं कि 2014, 2017 और स्थानीय चुनाव में इन दलों का क्या हुआ था। 2014 में बसपा का सफाया हो गया। 2017 के अंत में सपा और कांग्रेस दोनों का सफाया हो गया। यह एक रणनीति होती है कि लंबी छलांग के लिए एक कदम पीछे और फिर दस कदम आगे। बताने की जरूरत नहीं है, आप 2019 में देख लेंगे।

तो क्या पीछे मिली कुछ पराजय रणनीति का हिस्सा थी?
-देखिए मेरे कहने का अर्थ है कि ये लोग दोहरे चरित्र में जीते हैं। अपनी हर हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हैं लेकिन गोरखपुर, कैराना या फिर फूलपुर या फिर राजस्थानमध्यप्रदे और छत्तीसगढ़की जीत का श्रेय ईवीएम को देने से घबराते हैं। इतना ही नहीं षड्यंत्र भी करते हैं। जनता इनके चरित्र को देख रही है। रही बात हार-जीत की तो राजनीति में इसका केवल एक ही फैक्टर नहीं होता है।

सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस बाहर है। त्रिकोणीय लड़ाई आपके लिए फायदेमंद है?
-हमारे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है। भाजपा तो काम के बल पर जनता के पास जाती है। विपक्षी मिलकर लड़ें या अलग-अलग, भाजपा की सेहत पर फर्क नहीं पड़ेगा। 1993 में भी उनका गठबंधन हुआ था, सपा नंबर दो थी और बसपा नंबर तीन। उस वक्त भाजपा की उपलब्धियां नहीं थी। अब उपलब्धियां भी हैं और मोदी जी जैसा यशस्वी, लोकप्रिय चेहरा भी, जिन्होंने देश का सिर ऊंचा किया है, गरीबों को सम्मान के साथ उसका अधिकार दिया है। वोट नेशनल एजेंडा पर पड़ेगा। कौन सुरक्षा दे सकता है?

आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने वाला नहीं चाहिए। आतंकवादी को गोली खिलाने वाले लोग चाहिए और यह मोदी जी के नेतृत्व में ही हो सकता है। चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर एअर स्ट्राइक, वह मोदी जी ही कर सकते हैं। तीसरी और सबसे बड़ी बात कि आस्था का सम्मान कौन कर सकता है। हर वर्ग का त्यौहार आया और शांति व उल्लास से मनाया गया। पहले त्यौहार आने पर लोग आशंकित हो जाते थे। अभी हाल में आस्था का महाकुंभ हुआ। सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से हुआ। कुंभ के सफल आयोजन का श्रेय भी प्रधानमंत्री जी को जाता है। अक्षय वट का दर्शन करने का अवसर भी मिला। क्या देश भूल सकता है कि स्वच्छता के लिए समर्पित ऐसा प्रधानमंत्री है जो सफाई कर्मियों के पांव धोए। मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो अपनी कमाई के पैसे नमामि गंगे, बेटियों के कल्याण के लिए दे रहे हैं। राष्ट्र की सुरक्षा, गरीबों को गौरव और आस्था का सम्मान बहुत बड़ी चीज है।

यह पहला लोकसभा चुनाव है, जिसमें आप लड़ नहीं रहे, लड़वा रहे हैं। कितना आसान या कठिन है आपके लिए?
-पिछली बार तक मैं स्वयं प्रत्याशी हुआ करता था और कुछ समय निकालकर कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी जाता था। पहले मैं जाता था तो कहता था कि यह करूंगा, वह करूंगा। अब तो हमने करके दिखा दिया है। कांग्रेस, सपा-बसपा जो पचास साठ वर्षों में नहीं कर सकीं, वह सब कर दिखाया है। उत्तर प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी सरकार के वक्त कानून व्यवस्था का यह हाल था कि मुख्यमंत्री आवास में गुंडों को सम्मानित किया जाता था। गुंडों से मुक्ति हमने दिलाई है। बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। आज माहौल बदल गया है। बिजली पांच जिलों में मिलती थी, बाकी के 70 जिलों में अंधेरा था। बाबा साहेब के जन्मदिन से हमने हर किसी के घर को रोशन करने का जिम्मा उठाया। आप मेरी व्यक्तिगत बात पूछ रहे थे तो पहले भी लोगों का विश्वास पाता रहा, इस बार भी लोगों का आशीर्वाद मिलेगा।

माना जाता है कि चुनाव जीतने की शुरुआत टिकट वितरण से ही हो जाती है। उत्तर प्रदेश में जितनी टिकटें बंटी हैं, उससे आप संतुष्ट हैं?
-पूरी तरह संतुष्ट हूं। पूरी टीम ने बैठकर तय किया है। एक-एक कार्यकर्ता का फीडबैक लिया गया है।

कुछ वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिला। इसे कैसे देखते हैं?
वह हमारे वरिष्ठ नेता हैं, इसे गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।

चुनाव में भाषा की मर्यादा को लेकर सवाल उठ रहा है। एक तरफ कांग्रेस सीधे प्रधानमंत्री को निशाना बना रही है और ‘चोर’ जैसे शब्द का इस्तेमाल कर रही है, तो दूसरी ओर आपने अभियान शुरू करते वक्त ही कांग्रेस के एक उम्मीदवार को आतंकी अजहर का दामाद करार दे दिया था?
-सम्मान का संस्कार कांग्रेस में है ही नहीं। जब ये जनहित एवं राष्ट्र के हितों का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो प्रधानमंत्री जैसे पद का क्या सम्मान करेंगे। दरअसल जैसे ही ये सत्ता से बाहर होते हैं, इन्हें बेचैनी होने लगती है, रातों की नींद उड़ जाती है। परिवारवाद और वंशवाद दोनों को बढ़ावा देने वाले ये लोग सत्ता पाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं, कोई भी टिप्पणी कर सकते हैं। इन्हें यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि एक आम आदमी प्रधानमंत्री कैसे बन गया। रही बात मेरी तो हां, मैं फिर से कह रहां हूं कि जैसे बेमौत ओसामा मारा गया था, वही मौत मसूद अजहर को भी मिलेगी। आप मेरे भाषण को फिर से सुनिएगा।

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