ये हिन्दू का परम पवित्र सच्चा मंदिर जहां प्रसाद में मिलते है चांदी के सिक्के…

जो देवी शक्ति को समर्पित है। यह मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी पर स्थित है।
मां वैष्णोदेवी मंदिर की कहानी और महिमा के बारे में यह माना जाता है कि करीबन 700 साल पहले मां वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण पंडित श्रीधर द्वारा हुआ था।


जो एक ब्राह्मण पुजारी थे। उन्हें मां के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति थी जबकि वह गरीब थे। उनका सपना था कि वह एक दिन भंडारा (व्यक्तियों के समूह के लिए भोजन की आपूर्ति) करें, मां वैष्णोदेवी को समर्पित भंडारे के लिए एक शुभ दिन तय किया गया और श्रीधर ने आस-पास के सभी गांव वालों को प्रसाद ग्रहण करने का न्योता दिया।

भंडारे वाले दिन पुनः श्रीधर अनुरोध करते हुए सभी के घर बारी-बारी गए ताकि उन्हें खाना बनाने की सामग्री मिले और वह खाना बना कर मेहमानों को भंडारे वाले दिन खिला सके। जितने लोगों ने उनकी मदद की वह काफी नहीं थी क्योंकि मेहमान बहुत ज्यादा थे।

जैसे-जैसे भंडार का दिन नजदीक आता जा रहा था, पंडित श्रीधर की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही थी। वह सोच रहे थे इतने कम सामान के साथ भंडारा कैसे होगा। भंडारे के एक दिन पहले श्रीधर एक पल के लिए भी सो नहीं पा रहे थे यह सोचकर की वह मेहमानों को भोजन कैसे करा सकेंगे, इतनी कम सामग्री और इतनी कम जगह…, दोनों ही समस्या थी।
वह सुबह तक समस्याओं से घिरे हुए थे और बस उसे अब देवी मां से ही आस थी। वह अपनी झोपड़ी के बाहर पूजा के लिए बैठ गए, दोपहर तक मेहमान आना शुरू हो गए थे, श्रीधर को पूजा करते देख वे जहां जगह दिखी वहां बैठ गए। सभी लोग श्रीधर की छोटी-सी कुटिया में आसानी से बैठ गए और अभी भी काफी जगह बाकी थी।

श्रीधर ने अपनी आंखें खोली और सोचा की इन सभी को भोजन कैसे कराएंगे, तब उसने एक छोटी लड़की को झोपडी से बाहर आते हुए देखा जिसका नाम वैष्णवी था। वह भगवान की कृपा से आई थी, वह सभी को स्वादिष्ट भोजन परोस रही थी, भंडारा बहुत अच्छी तरह से संपन्न हो गया था।

भंडारे के बाद, श्रीधर उस छोटी लड़ी वैष्णवी के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे, पर वैष्णवी गायब हो गई और उसके बाद किसी को नहीं दिखी। बहुत दिनों के बाद श्रीधर को उस छोटी लड़की का सपना आया उसमें स्पष्ट हुआ कि वह मां वैष्णोदेवी थी। माता रानी के रूप में आई लड़की ने उसे सनसनी गुफा के बारे बताया और चार बेटों के वरदान के साथ उसे आशीर्वाद दिया।

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श्रीधर एक बार फिर खुश हो गए और मां की गुफा की तलाश में निकल पड़े, जब उन्हें वह गुफा मिली तो उसने तय किया की वह अपना सारा जीवन मां की सेवा करेंगे। जल्द ही पवित्र गुफा प्रसिद्ध हो गई और भक्त झुंड में मां के प्रति आस्था प्रकट करने आने लगे। आज यही वैष्णोदेवी के रूप में माता रानी का असीम ऊर्जावान केंद्र है। वैष्णोदेवी के इस मंदिर में पूरे दुनिया भर के भक्त आकर उनके दर्शन का लाभ लेते हैं।

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