यूसीसी समिति के खिलाफ दायर याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- पैनल सदस्यों का चयन करना राज्य का अधिकार

चार फरवरी को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और इसके लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन की घोषणा की थी। समिति गठन के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

गुजरात हाईकोर्ट ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर पांच सदस्यीय समिति गठन के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर पांच सदस्यीय समिति के गठन को किसी भी वर्ग के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह पैदा करने वाला नहीं कहा जा सकता। इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। समिति के सदस्यों का चयन करना राज्य का अधिकार है।

न्यायमूर्ति निरल आर मेहता की एकल पीठ के समक्ष दायर याचिका में यूसीसी समिति में अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण इसके पुनर्गठन के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की गई थी। इस पर अदालत ने कहा कि समिति के सदस्यों का चयन पूर्णतः राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा।

पीठ ने कहा कि समिति का गठन पूर्णतः एक प्रशासनिक निर्णय है। एक बार जब यूसीसी समिति का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत एक कार्यकारी आदेश द्वारा पूरी तरह से कर दिया गया है, तो इसके विशेष सदस्यों का चयन राज्य सरकार के पूर्ण अधिकार क्षेत्र में होगा।

पीठ ने कहा कि राज्य प्राधिकारियों द्वारा समिति के सदस्यों का चयन करना पूरी तरह से न्यायोचित है और इसके लिए परमादेश रिट जारी नहीं की जा सकती। समिति गठित करने से यह नहीं कहा जा सकता कि इससे किसी वर्ग के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह पैदा होता है। जबकि विशेष रूप से किसी भी वर्ग के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता पर अपने विचार प्रस्तुत करने का विकल्प हमेशा खुला रहता है।

कोर्ट ने कहा कि किसी भी वैधानिक प्रावधान के अभाव में प्राधिकरण से किसी विशेष तरीके से कार्य करने की अपेक्षा या निर्देश नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि यह प्राधिकरणों के प्रशासनिक मामलों में अनुचित और अवांछित हस्तक्षेप होगा।

पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में गुजरात राज्य द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत लिए गए प्रशासनिक निर्णयों के क्षेत्र में असाधारण अधिकारिता का प्रयोग करने का कोई कारण नहीं है। इसलिए कोर्ट राज्य को किसी विशेष तरीके से कार्य करने का निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि इस संबंध में कोई भी निर्देश और/या आदेश राज्य प्राधिकारियों के विशुद्ध प्रशासनिक मामलों में अनुचित और अवांछित हस्तक्षेप होगा।

चार फरवरी को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और इसके लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन की घोषणा की थी। इस समिति की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई कर रही हैं। इसके सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सीएल मीणा, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीताबेन श्रॉफ शामिल हैं।

याचिकाकर्ता सूरत निवासी अब्दुल वहाब सोपारीवाला ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह समिति का पुनर्गठन करे, जिसमें संबंधित कानून के बारे में ज्ञान और अनुभव रखने वाले नए सदस्य शामिल हों तथा यूसीसी को लागू करने के किसी भी कदम से पहले सभी धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों को शामिल करते हुए परामर्श प्रक्रिया अपनाई जाए।

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