उत्तर प्रदेश में विधान मंडल के बजट सत्र के दौरान बुधवार को राज्यपाल आनंदीबेन के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत संवाद है। आपस में सहमति और असहमति सभी के बीच हो सकती है, लेकिन संवाद की सिलसिला हमेशा चलता रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण विधानमंडल के लिए सरकार का एक दस्तावेज होता है। सरकार की उपलब्धियां और भावी योजनाएं इसके माध्यम से सदन में रखी जाती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के प्रति हदय से आभार जिन सदस्यों ने इसमें भाग लिया उन्हें भी ह्रदय से धन्यवाद। उन्होंने कहा कि सांविधानिक प्रतीकों और प्रमुखों का सम्मान चुने गए जनप्रतिनिधियों का दायित्व होना चाहिए, लेकिन इस मामले में हम लोग चूक करते हैं। परिपाटी अच्छे बननी चाहिए। राज्यपाल जब आती हैं तो सत्ता पक्ष और विपक्ष का दायित्व है वे उनका सम्मान करें। कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी नहीं होनी चाहिए, लेकिन जैसा हुआ वह पीड़ा दायक है। सीएम योगी ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सदन में एक नई परिपाटी बन गई है। उन्होंने कहा कि कभी विधायिका को लोग ऐसा न मान लें कि यह ड्रामा कंपनी है। कोई लाल टोपी, तो कोई नीली टोपी, तो कई पीली टोपी में सदन में दिखने लगी है। ऐसा तो कभी नहीं होता था।
इस दौरान सीएम योगी ने सदन में अज्ञेय की पंक्तियों के जिक्र किया- ‘सर्प तुम कभी नगर नहीं गए, नहीं सीखा तूने वहां बसना, तो फिर कहां से विष पाया, कहां सीखा डासना।’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक वाकया सुनाते हुए कहा कि ढाई साल का बच्चा टोपी पहने व्यक्ति को गुंडा समझता है। उन्होंने कटाक्ष किया कि नेता प्रतिपक्ष यदि सदन में पगड़ी या साफा पहन कर आते तो ज्यादा अच्छा लगता। उन्हें इस प्रकार की चीजों से उन्हें परहेज करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष को इस उम्र में टोपी लगाकर आना शोभा नहीं देता है। नेता प्रतिपक्ष अपने घर बलिया भी सीधे नहीं जाते। नेता प्रतिपक्ष को पता नहीं अयोध्या जाने से डर लगता है। नेता प्रतिपक्ष के बीमार होने पर हमने खुद लगातार संवाद किया। बीमारी के चलते ही मैने उनसे सदन में कम बोलने का निवेदन किया था।