यूपी में पुलिस मुठभेड़ को लेकर की नई गाइडलाइन जारी

उत्तर प्रदेश में पुलिस अपराधियों को लेकर हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाई और एनकाउंटर कर पकड़ रही है। उसे लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। हाल ही में सुल्तानपुर लूटकांड के आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर तो बवाल मच गया था। जिसके बाद भी विपक्ष ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। वहीं, अब बहराइच हिंसा में भी आरोपी पुलिस मुठभेड़ में पकड़ा गया है। अब योगी सरकार ने विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों से बचने के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है।

योगी सरकार का सख्त निर्देश
इस गाइडलाइन के तहत पुलिस मुठभेड़ों की पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सकेगा। राज्य के डीजीपी प्रशांत कुमार ने पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया है कि अब हर मुठभेड़ की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी, विशेष रूप से तब, जब मुठभेड़ में अपराधी की मौत होती है या वह घायल होता है। यह कदम मुठभेड़ों की निष्पक्षता और सत्यापन में सहायता करेगा। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन सुनिश्चित हो। 2017 से गाइडलाइंस का कड़ाई से अनुपालन हो।

नई गाइडलाइन के प्वाइंट  
पुलिस एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल होता है या किसी की मौत हो जाती है तो शूटआउट साइट की वीडियोग्राफी करानी होगी।

अगर एनकाउंटर में अपराधी की मौत हो जाती है तो दो डॉक्टरों का पैनल डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करेगा और उसकी भी वीडियोग्राफी होगी।

जिस जगह पर शूटआउट हुआ, वहां फॉरेंसिक टीम भी निरीक्षण करेगी।  

जहां एनकाउंटर हुआ है उस क्षेत्र के थाने की पुलिस जांच नहीं करेगी। दूसरे थाने की पुलिस या फिर क्राइम ब्रांच से उसकी जांच कराई जाएगी।

एनकाउंटर में शामिल अफसरों से एक रैंक ऊपर के अधिकारी ही इसकी जांच करेंगे।

एनकाउंटर में मारे गए अपराधी के परिजनों को भी इसकी सूचना तुरंत दी जाएगी। इसकी जानकारी पंचनामा रिपोर्ट में भी देनी होगी।

एनकाउंटर के दौरान जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया है उनको भी सरेंडर करना होगा, ताकि उन हथियारों की भी जांच हो सके।

जिन मामले में अपराधी घायल होते हैं उसमें उनसे बरामद गए हथियारों का भी बैलिस्टिक परीक्षण कराया जाएगा।

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