यूपी की राजधानी लखनऊ से करीब 70 किलोमीटर दूर उन्नाव के बुबराह गांव में बुधवार 17 फरवरी की देर शाम खेत पर चारा लेने गई तीन लड़कियों के बेहोशी की हालत में मिलने की खबर से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा है. दो लड़कियों की मौत भी हो चुकी है जबकि एक का कानपुर के अस्पताल में इलाज जारी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर खाने की बात सामने आई है. डॉक्टरों के अनुसार लड़कियों के शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान भी नहीं मिले हैं. सरकार के उच्चाधिकारी लगातार मामले पर नजर गड़ाए हुए हैं.
तीनों लड़कियों के शरीर पर जहर कैसे पहुंचा? इसके पीछे किसी का हाथ तो नहीं? पुलिस को इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है. गुरुवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस की एक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया. पुलिस ने बताया कि घटनास्थल पर तलाशी अभियान चलाकर सबूत इकट्ठा करने की कोशिश की जा रही है, जिससे लड़कियों की मौत का सही कारण पता चल सके.
उत्तर प्रदेश में चार साल पूरे करने जा रही योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए उन्नाव एक बार फिर चुनौती बनकर उभरा है. लड़कियों की रहस्यमय मौत ने विपक्षी दलों को महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को घेरने का हथियार थमा दिया है. यह पहली बार नहीं है जब महिलाओं पर हो रहे अपराधों के मामले में उन्नाव सुर्खियों में आया. पिछले तीन साल में कई बार उन्नाव का नाम घिनौने अपराधों के मामले में उछला. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2018 में जैसे ही अपनी सरकार के एक वर्ष पूरे ही किए थे कि उन्नाव का माखी गांव अचानक देश-विदेश में चर्चा में आ गया था. माखी गांव में रहने वाली युवती ने पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर व उसके सहयोगियों पर दुष्कर्म का आरोप लगा लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था.
इसी बीच किशोरी के पिता की न्यायिक हिरासत में हुई मौत ने तूल पकड़ लिया. आरोप लगाया गया कि सेंगर ने ही पुलिस के जरिए दुष्कर्म पीड़िता के पिता की पिटाई कराई थी. इसके बाद योगी सरकार के खिलाफ देश विदेश में प्रदर्शन होने लगे. उन्नाव के वरिष्ठ वकील जगजीवन शुक्ल बताते हैं, “महिला सुरक्षा के सरकारी प्रयास शहरी इलाकों में सिमट कर रह गए हैं ग्रामीण और दूर दराज के क्षेत्रों में नए सिरे से योजना बनाने की जरूरत है.
सरकार को गांव स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों की एक समिति बनानी चाहिए जो स्थानीय स्तर पर महिला सुरक्षा के प्रयासों को तेज कर सके.” यूपी के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं, “सरकार महिला अपराधों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है इसी वजह से पूरे प्रदेश में महिला अपराधों की संख्या में कमी आई है.” बहरहाल, चुनावी साल में प्रवेश कर चुकी यूपी की राजनीति में उन्नाव जैसी घटनाएं विपक्ष को सरकार के खिलाफ हथियार थमा रही हैं, इन्हें रोकना योगी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
22 फरवरी 2018- 22 फरवरी 2018 को बारासगवर थानाक्षेत्र में युवती को जिंदा जला दिया गया था. घटना की तफ्तीश में प्रेमी युवती का हत्यारा निकला था. पुलिस ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी प्रेमी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन है.
28 मार्च, 2018- हसनगंज थानाक्षेत्र में 28 मार्च 2018 को पिता ने बेटे व पत्नी के साथ मिलकर बेटी की हत्या कर दी थी. घटना को छिपाने के लिए उन्होंने शव को फूंक भी दिया था. पुलिस ने घटना का खुलासा करते हुए आरोपियों को जेल भेज दिया। अभी केस कोर्ट में है.
2 अप्रैल 2018- दो अप्रैल 2018 को आसीवन थानाक्षेत्र के एक गांव में गर्भवती महिला की गला घोटकर हत्या करने के बाद शव को पेट्रोल डालकर जला दिया गया था. महिला की अब तक पहचान नहीं हो सकी है.
8 अप्रैल 2018- पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर व उसके सहयोगियों पर दुष्कर्म का आरोप लगा युवती व उसके परिजनों ने मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया. इस बीच किशोरी के पिता की न्यायिक हिरासत में हुई मौत ने तूल पकड़ लिया. न्यायालय ने पूर्व विधायक को दोषी पाया और उम्र कैद की सजा दी.
23 फरवरी 2018- बारासगवर थानाक्षेत्र सथनी बाला खेड़ा में 19 वर्षीय युवती को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था. घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई थी.
5 दिसंबर 2019- बिहार थानाक्षेत्र के एक गांव में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को जिंदा जला दिया गया था. दिल्ली में सफदरगंज अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. यह मामला भी सुर्खियों में है. फास्ट ट्रैक कोर्ट में घटना के एक साल बाद सुनवाई शुरू हो पाई है. इस मुकदमे में 25 फरवरी को अगली सुनवाई होगी.
16 दिसंबर 2019- हसनगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी दुष्कर्म पीड़िता ने विवेचक की लापरवाही से आरोपियों को जमानत मिलने का आरोप लगा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
11 मार्च, 2020–बिहार थानाक्षेत्र में 11 मार्च 2020 को फाग सुनने गई नौ साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. आरोपी को गिरफ्तार करने में पुलिस को चार माह लगे. केस न्यायालय में विचाराधीन है.
2 अक्तूबर 2020- बिहारा थानाक्षेत्र में मृत दुष्कर्म पीड़िता के छह साल के भतीजे का अपहरण हो गया. पुलिस ने पांच आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजा. पुलिस टीमों ने कई जिलों और प्रांतों की खाक छानी लेकिन अब तक बच्चे का सुराग नहीं लगा है.