यूपी पुलिस ने इंटेरनेट मीडिया पर तेज रफ्तार से अपनी छवि में बदलाव करने का प्रयास किया है। खुद की जवाबदेही तय करने के साथ ही शरारती तत्वों की मुश्किलें भी बढ़ाई हैं। अब सोशल मीडिया सेल को और मजबूत बनाने के लिए एकीकृत डाटा सेंटर बनाये जाने की तैयारी है। जहां राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी संस्थानों के सहयोग से डाटा का विश्लेषण भी होगा। डीजीपी मुकुल गोयल के निर्देश पर इसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
प्रदेश में वर्ष 2016 में ट्विटर हैंडल व फेसबुक पेज के जरिये लोगों की समस्याओं व शिकायतों के निस्तारण की पहल की गई थी। जिसके बाद पुलिस ने यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम व अन्य प्लेटफार्म पर भी सक्रियता बढ़ाई। जबकि वर्ष 2018 में सभी जिलों, जोन व रेंज मुख्यालय स्तर पर सोशल मीडिया सेल स्थापित कर पुलिस ने इंटरनेट मीडिया की शिकायतों का तत्काल संज्ञान लेना शुरू किया और कार्रवाई का दायरा भी बढय़ा। वर्ष 2017 से फरवरी, 2022 तक कार्यवाही संबंधी ट्वीट का संज्ञान लेकर पुलिस ने 16557 प्रकरणों में मुकदमे दर्ज कराये गये हैं। इंटरनेट मीडिया के जरिये मिली शिकायतों के आधार पर पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की गई।
वर्ष 2017 से अब तक 40 पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त व 1419 को निलंबित किया गया। 178 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज कराई गईं। इस प्लेटफार्म पर पुलिस ने सराहनीय कार्यों को लगातार साझा कर अपनी छवि भी सुधारी है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि सोशल मीडिया सेल के इस ढांचे का और मजबूत बनाने के लिए एकीकृत डेटा सेंटर बनाने की योजना है,जिससे सभी प्लेटफार्म के जरिए आने वाली शिकायतों व उनमें होने वाली कार्रवाई का विस्तृत विश्लेषण संभव हो सके। इस सेवा को और अत्याधुनिक व जवाबदेह बनाया जा सके।
वायरल चेक करने वाली इकलौती पुलिसः वर्ष 2017 में पुलिस ने अपना वायरल चेक ट्विटर हैंडल लांच किया था, जिसके जरिये झूठी व भ्रामक खबरों का खंडन कर सही तथ्यों को सामने लाया जाता है। डीजीपी मुख्यालय स्थित सोशल मीडिया सेंटर के प्रभारी एएसपी राहुल श्रीवास्तव के अनुसार ऐसा हैंडल केवल यूपी पुलिस ही संचालित करती है।
यह भी
- यूपी पुलिस के हैंडल से अब तक 1.71 लाख से अधिक ट्वीट।
- विधानसभा चुनाव के दौरान मिलीं 2259 शिकायतें, 528 में मुकदमा दर्ज।