उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पंचायत चुनाव में नेपाल के बधिया मुर्गों की मांग बढ़ी है। कोरोना संक्रमण के कारण भारत-नेपाल की सीमा सील है, लेकिन कुछ खास लोगों को लुभाने के लिए नेपाली मुर्गे की तस्करी कराई जा रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में पाले जाने वाले मुर्गे अन्य मुर्गों की अपेक्षा करीब चार गुने महंगे हैं।
जिले की बढ़नी सीमा से करीब 55 किमी दूर नेपाल के दांग जिले के भालूबान कस्बे और आसपास के क्षेत्रों से मुर्गें मंगाए जा रहे हैं। सीमा पार से तस्करों के माध्यम से मुर्गों को लाने से खर्च भी बढ़ रहा है। फिर भी इन मुर्गों को मंगाने के लिए दावेदार नेपाल में संपर्क साध रहे हैं।
नेपाली नागरिक चंद्र बहादुर के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों के लोग ही मुर्गे का बधिया बनाते हैं। इससे मुर्गे ज्यादा तगड़े होते हैं। धर्मबहादुर क्षेत्री ने बताया कि एक मुर्गा चार से पांच हजार रुपये में बिक जाता है। नेपाल के स्थानीय बाजार में इस मुर्गे की कीमत 1200 से 1500 रुपये प्रति किग्रा है। ये मुर्गे 3-4 किग्रा वजन के होते हैं।
वहीं भारतीय बाजार में मुर्गे 200 रुपये प्रति किग्रा बिक रहे हैं जबकि, दो माह पहले तक मुर्गों की कीमत 160-170 रुपये प्रति किग्रा थी। नौगढ़ के दुकानदार अफजल के अनुसार इन दिनों पंचायत चुनाव के दावेदार अधिक मुर्गे खरीद रहे हैं। पोल्ट्री फार्म संचालक वजीर मोहम्मद के अनुसार काले मुर्गे (कड़कनाथ) 1200 से 1300 रुपये प्रति किग्रा की दर से बिक रहे हैं।