प्रदेश में छह लाख पात्र छात्रों को शुल्क भरपाई न होने पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। अयोध्या, बहराइच, रायबरेली व सीतापुर समेत 14 जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। जबकि, सबसे ज्यादा गड़बड़ वाले जिला बरेली के बाबू प्रमोद जोशी को निलंबित कर दिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुल 100 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसमें कई विश्वविद्यालयों के नोडल अधिकारी और आईटीआई के आठ मंडलों के संयुक्त निदेशक भी शामिल हैं।
प्रदेश सरकार ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले एससी-एसटी छात्रों और दो लाख रुपये तक आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई करती है। वर्ष 2024-25 में शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और अधिकारियों की लापरवाही से सभी वर्गों के करीब 6 लाख पात्र छात्र योजना का लाभ नहीं पा सके। कहीं लापरवाह अधिकारियों ने डाटा लॉक नहीं किया तो कहीं शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन आवेदन आगे ही नहीं बढ़ाए।
इस प्रकरण में अलीगढ़ की जिला समाज कल्याण अधिकारी संध्या रानी बघेल, औरेया की समाज कल्याण अधिकारी इंदिरा सिंह, अयोध्या के रणविजय सिंह, बहराइच के रमाशंकर, बलिया के तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी दीपक श्रीवास्तव, बरेली के सुधांशु शेखर, बिजनौर के जागेश्वर सिंह, गौतमबुद्धनगर के सतीश कुमार, गाजियाबाद के वेद प्रकाश मिश्रा, कन्नौज के सत्य प्रकाश सिंह, प्रतापगढ़ के नागेंद्र मौर्य, रायबरेली की सृष्टि अवस्थी, सीतापुर के हर्ष मवार और वाराणसी के जिला समाज कल्याण अधिकारी गिरीश दुबे को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है।
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