यूजीसी के मसौदा निर्देशों पर शिक्षा मंत्रालय की सफाई

शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय अनुदान आयोग के एससी, एसटी या ओबीसी के शिक्षकों के पदों को खाली रहने पर आवश्यकतानुसार अनारक्षित करने के दिशा-निर्देशों के मसौदे पर अमल होने से साफ इनकार किया है। साथ ही यूजीसी अध्यक्ष ने भी अब तक खाली पड़े आरक्षित पदों को शीघ्र भरने की बात कही है।

2019 अधिनियम का पालन करें सभी शिक्षण संस्थान: शिक्षा मंत्रालय

शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी के प्रस्ताव का विरोध होने के बाद रविवार को एक्स पर पोस्ट जारी करके कहा कि केंद्रीय शिक्षण संस्थान (प्रध्यापकों के कैडर में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद से किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों को सख्ती से 2019 अधिनियम का पालन करने को कहा है।

यूजीसी के प्रस्तावित मसौदे पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति

यूजीसी के प्रस्तावित मसौदे पर कांग्रेस ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के मुद्दों पर केवल प्रतीकों की राजनीति करती है। उसका उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी पदों से यह आरक्षण खत्म करने की साजिश है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यूजीसी के इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि कुछ साल पहले आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा किए जाने की बात की थी।

जेएनयू के छात्र संगठन जेएनयूएसयू ने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की

अब उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण को खत्म करने की साजिश हो रही है। वहीं, जेएनयू के छात्र संगठन जेएनयूएसयू ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है और वह यूजीसी के अध्यक्ष एम.जगदीश कुमार का पुतला भी फूंकेंगे।

इन दिशा-निर्देशों की आलोचना पर यूजीसी के अध्यक्ष एम.जगदीश कुमार ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय शिक्षण संस्थानों के प्राध्यापकों की सीधी भर्ती में सभी पदों के लिए आरक्षण यथावत कायम रहेगा। अनारक्षण की स्थिति न पहले हुई है और ना ही आगे होगी।

यूजीसी के दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में क्या कहा गया है?

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने जल्द से जल्द केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में बैकलाग वाले आरक्षित पदों को भरने के निर्देश भी दिए हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले यूजीसी के दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में कहा गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित श्रेणी की रिक्त सीटों के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिलने पर उसे अनारक्षित घोषित किया जा सकता है।

भारत सरकार की उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीति लागू करने के दिशा-निर्देश’ के तहत यूजीसी समेत सभी हितधारकों से उनकी राय मांगी गई है।

उच्च शिक्षा को लेकर यूजीसी के दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में कहा गया था कि निर्धारित कानून का पालन करते हुए एक रिक्त आरक्षित सीट से आरक्षण हटाया जा सकता है। यानी उसे अनारक्षित (अनरिजर्वड) के तौर पर भरा जा सकेगा।

मसौदे में कहा गया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में रिक्त पद जो अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित है, वह खाली रह जाने की स्थिति में आवश्यकतानुसार इन तीन आरक्षित श्रेणियों से इतर श्रेणी में भरा जा सकेगा। आमतौर पर सीधी भर्तियों के मामले में किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित करने पर प्रतिबंध रहता है।

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