भारत की दीपा मलिक ने सोमवार को इतिहास रचा जब वह यहां गोला फेंक एफ-53 में रजत पदक जीतकर परालंपिक में पदक हासिल करने वाले देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी। दीपा ने अपने छह प्रयासों में से सर्वश्रेष्ठ 4.61 मीटर गोला फेंका और यह रजत पदक हासिल करने के लिये पर्याप्त था।
भारत के अब रियो परालंपिक में तीन पदक हो गये हैं। दीपा को इस उपलब्धि के लिये हरियाणा सरकार की योजना के तहत चार करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा। बहरीन की फातिमा नदीम ने 4.76 मीटर गोला फेंककर स्वर्ण पदक जीता जबकि यूनान की दिमित्रा कोरोकिडा ने 4.28 मीटर के साथ कांस्य पदक हासिल किया। दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त है। वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं।
सत्रह साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था। दीपा के 31 आपरेशन किये जिसके लिये उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे। गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था। वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है। भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकार्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे। दीपका का रजत पदक भारत का परालंपिक खेलों में तीसरा पदक है। उनसे मरियप्पन थांगवेलु और वरूण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे।