गणेश जी का यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ही मनाया जाता है इसे विनायक चतुर्थी या ढेला चतुर्थी भी कहते है इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसलिए भारत में यह दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है यह दिन रविवार या मंगलवार हो तो यह महाचतुर्थी हो जाती है।अभी-अभी: शपथ ग्रहण से पहले PM मोदी के नए मंत्री का विवादित विडियो हुआ वायरल, मचा ये बड़ा बवाल
गणेश व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ और विधि-विधान से मनाया जाता है इस दिन व्रत रखकर गणेश भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है यदि इस दिन गणेश जी को श्रद्धा के साथ शुद्ध घी और मोदक चढ़ाएंगे तो इन्हें अधिक प्रसन्नता होगी आइये जानते है कि गणेश चतुर्थी व्रत और पूजा कैसे करे-
सुबह सूर्योदय के पहले उठकर नित्यादी क्रियाओं से निवृति होने के बाद पूजन के लिए गाय के गोबर से गणेशजी की मूर्ति बनाए. इसके बाद कोरे घड़े में जल भरकर उसके मुख पर नया कोरा कपड़ा बाँध दे फिर उस पर गणेशजी की प्रतिमाँ को स्थापित करे. सभी पूजन सामग्री(पुष्प, दूर्वा, धुप, दीप, कपूर, लाल मौली रोली, चन्दन, मोदक, शमी के पत्ते और सुपारी) आदी को एकत्रित कर लेना चाहिए. तत्पश्चात शुद्ध आसन पर बैठकर गणेश भगवान का ध्यान कर लड्डू रखकर विधि विधान के साथ पूजन करना चाहिए.
इसके बाद गड़ाधिप, उमापुत्र, अघनाशक, विनायक, ईशपुत्र, सर्वसिद्धप्रद एकदंत, इभवक्म, भूषकवाहन तथा कुमारगुरु नाम बारी- बारी से लेकर सिद्धिविनायक का आव्हान करना चाहिए. अब आसन, पाध, अर्ध, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध और पूष्पादी से पूजन कर के पुनः अंग पूजा करनी चाहिए तथा धुप दीप, नैवेध आचमन, पान और दक्षिण के बाद आरती उतार कर नमस्कार करना चाहिए. चतुर्थी के मध्यान्ह में सोलह लड्डू और दक्षिणा सहित ब्राह्मणों को प्रसाद बाँट देना चाहिए.
रात्री में जब चंद्रोदय हो जाय, तब चन्द्रमा का यथाविधि पूजन करके उनका आशीर्वाद प्रदान करे. आखिरी में ब्राह्मणों को भोजन कराकर और स्वयं मौन रहकर गणेशजी के आगे रखे लड्डूओ का भोजन करे.