एजेंसी/हमीरपुर, उत्तर प्रदेश।देश भर में जहां रंगों का त्योंहार होली धूमधाम के साथ मनाया जाता है वहीँ एक गांव ऐसा भी है जहां होली मनाने की अनूठी ही परम्परा प्रचलित है। इस गांव में रहने वाले पुरुष जहां रंगों से पूरी तरह से परहेज़ करते हैं वहीँ यहां की महिलाएं जमकर होली खेलकर इस त्योंहार का आनंद उठाती है।
उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के कुन्डरा गांव में कुछ इसी तरह की परम्परा बीते कई सालों से बदस्तूर निभाई जा रही है। होली में रंग खेलने के दिन गांव के पुरुष सदस्य रोजमर्रा की तरह खेती का कामकाज निपटाते हैं। इस दिन पूरे गांव की महिलाएं रामजानकी मंदिर में एकत्र होती है और फाग गाने के बाद धूमधाम से होली खेलती है।
इस अजीबोगरीब परंपरा के पीछे ग्रामीणों का तर्क है कि तीस साल पहले होली के दिन गांव के रामजानकी मंदिर में जब ग्रामीण फाग गा रहे थे कि तभी क्षेत्र के एक इनामी डकैत ने गांव के एक व्यक्ति की पुलिस का मुखबीर होने के अंदेशे से गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस घटना से गमजदा ग्रामीणों ने कई सालों तक होली नही मनाई। यह बात महिलाओं को नागवार गुजरी। पहले तो उन्होंने अपने पतियों को समझाने की कोशिश की और नहीं मानने पर गांव की सभी महिलाएं मंदिर में एकत्र हुई और फैसला लिया कि होली के दिन गांव की सभी महिलांए पूरी रस्म के साथ त्योहार मनायेगी। इसमें पुरुषों की कोई भागीदार नहीं रहेगी।
ग्राम प्रधान अवधेश यादव के मुताबिक़ होली में खास बात यह है कि गांव के बुजुर्गो के सम्मान में पर्दे मे रहने वाली महिलायें पर्व के दिन घूंघट से एक दम परहेज करती हैं। महिलाओं की टोली नाच गाने के साथ गांव के हर छोटे बडे मंदिर में जाती है।
गांव के पुरुषों का कहना है कि गांव की कोई बहू को इस कार्यक्रम में व्यवधान न आये इसके लिए सभी पुरुष तड़के से ही खेत चले जाते है। इस कार्यक्रम में सभी वर्ग की महिलाएं शामिल होती है और घर में उनका स्वागत रंग गुलाल और मिठाईयों से होता है।
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