यहां तैयार हुआ भव्य लोटस टेंपल, 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा और अनोखा शिवलिंग मुख्य आकर्षण

मुजफ्फरपुर जिले में एक अद्भुत और भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है, जिसे ‘लोटस टेंपल’ नाम दिया गया है। इस मंदिर की अनोखी बनावट और इसमें स्थापित दुर्लभ मूर्तियां श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा की 16 कुंतल वजनी प्रतिमा और देवाधिदेव महादेव का दक्षिणेश्वर पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित किया गया है। मंदिर के शिखर को कमल के फूल की आकृति दी गई है, जो इसे खास बनाता है।
 
मां दुर्गा की दुर्लभ 18 भुजाओं वाली प्रतिमा
मंदिर में स्थापित 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा पूरे बिहार में अपनी तरह की पहली है। यह प्रतिमा राजस्थान के मकराना के विशेष पत्थर से तैयार की गई है और इसका वजन लगभग 16 कुंतल है। नक्काशी और शिल्पकारी का यह उत्कृष्ट नमूना मां भगवती के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।

महादेव का अनोखा शिवलिंग
मंदिर में देवों के देव महादेव का दक्षिणेश्वर पत्थर से निर्मित शिवलिंग भी स्थापित किया गया है। यह शिवलिंग नर्मदेश्वर के तर्ज पर बनाया गया है। इसकी प्राण-प्रतिष्ठा विधिवत पूजन, महाआरती और अभिषेक के साथ की गई है। शिवलिंग की अद्भुत बनावट और उसके साथ स्थापित शिव परिवार और नंदी की प्रतिमा भक्तों के लिए विशेष आकर्षण हैं।
 
खाटू श्याम और संकटमोचन हनुमान की भी प्राण-प्रतिष्ठा
मां भगवती और शिव परिवार के साथ-साथ मंदिर में खाटू श्याम और संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। इन प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूरी विधि-विधान से की गई है। मंदिर के निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा कार्यों में विशेष यज्ञ और पूजन का आयोजन किया गया।

मंदिर की विशेषताएं और भव्यता
माड़ीपुर स्थित महामाया स्थान के प्रांगण में बने इस लोटस टेंपल की ऊंचाई 50 फीट से अधिक है। मंदिर का शिखर 108 घंटियों से सुसज्जित है। मुख्य द्वार के पास एक विशाल घंटा लगाया गया है, जिसकी आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है। यह घंटा श्रद्धालुओं को मंदिर की ओर आकर्षित करने का काम करता है।

20 वर्षों के संघर्ष और श्रद्धा का परिणाम
मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2000 में शुरू हुआ था, लेकिन बीच में करीब 10 वर्षों तक यह रुक गया। अब लंबे इंतजार और कड़ी मेहनत के बाद, यह भव्य मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह तैयार है।
 
मंदिर के प्रधान सेवक डॉ. गजेंद्र कुमार सिंह और यज्ञाचार्य डॉ. रंजीत नारायण तिवारी ने मंदिर की विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि यह मंदिर अपनी अनोखी संरचना और भव्य मूर्तियों के कारण पूरे जिले में अद्वितीय है। उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण में कला और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

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