येस बैंक ने दिसंबर 2019 की समाप्त तिमाही के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इस तिमाही के दौरान येस बैंक को 18,564 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. येस बैंक का ये अब तक का सबसे बुरा तिमाही नतीजा है.
शनिवार को जारी किए गए आंकड़ों से सामने आया कि येस बैंक की गैर-निस्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) दिसंबर तिमाही में बढ़कर 18.87 फीसदी हो गया हैं. इससे पिछली सितंबर तिमाही में येस बैंक एनपीए 7.39 फीसदी था.
हालांकि बैंक ने दिसंबर 2018 के दौरान 1000 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था. वहीं पिछले साल की सितंबर तिमाही में बैंक को 629 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. एनपीए के अलावा बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखी जाने वाली नकदी में भी गिरावट देखने को मिली है.
हालांकि अब निजी क्षेत्र के संकटग्रस्त येस बैंक का संचालन फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश पर प्रशांत कुमार के हाथों में है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से येस बैंक के पुर्नगठन योजना को भी मंजूरी मिल चुकी है. वहीं पूर्व एसबीआई सीएफओ प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
सरकार ने येस बैंक पुनर्गठन योजना को नोटिफाई कर दिया है. इसके मुताबिक संकट में फंसे येस बैंक पर लगी निकासी की रोक 18 मार्च को हटा ली जाएगी.
गजट नोटिफिकेशन में बताया गया कि येस बैंक पुनर्गठन योजना 13 मार्च, 2020 से प्रभावी हो गई है. नोटिफिकेशन के मुताबिक पुनर्गठित बैंक पर सरकार के जरिए जारी रोक का आदेश 13 मार्च से तीसरे काम-काजी दिन यानी 18 मार्च को हटा ली जाएगी.
इस रोक के हटने के बाद येस बैंक के ग्राहक पहले की तरह पैसों की निकासी कर सकेंगे. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांच मार्च को येस बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी. इसके तहत खाताधारक 3 अप्रैल तक बैंक से अधिकतम 50,000 रुपये ही निकाल सकते थे.
बता दें कि येस बैंक को बचाने के लिए एसबीआई के अलावा कई प्राइवेट बैंक भी आगे आए हैं. निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक भी येस बैंक में 600 करोड़ रुपये का निवेश करेगा.
वहीं हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी ने 1,000 करोड़ रुपये और कोटक महिंद्रा बैंक ने 500 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश करने का ऐलान किया है. इसी तरह आईसीआईसीआई बैंक भी येस बैंक के 100 करोड़ शेयरों के अधिग्रहण के लिए उसमें 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा.