यकीन मानिए इस खबर को आपने पढ़ लिया, तो अपनी गर्लफ्रेंड को अपने सपनो में…

अध्ययन के मुताबिक, लोग चुपचाप एक महामारी की चपेट में आ रहे हैं। उन्हें नींद में सपने नहीं आते हैं, जो कई बीमारियों का कारण हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी बीमारी है, जिस पर लोग ध्यान नहीं दे पाते हैं। अध्ययन का दावा है कि सपने नहीं आने से लोग अवसाद की चपेट में आ सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने विभिन्न कारकों के बारे में विस्तार से बताया है, जिससे रैपिड आई मूवमेंट (REM) होता है और जो नींद औस सपने नहीं आने का कारण है। आमतौर पर सामान्य नींद एक पैटर्न होता है, जिसमें शरीर की प्राथमिकता गहरी और बिना-आरईएम की नींद होती है। केवल देर रात में और अल सुबह ही लोग सपने देखने का अनुभव करते हैं, जब REM स्लीप होता है।

हम जैसे नींद की कमी का अनुभव कर रहे हैं, वैसे ही सपने आने में भी कमी होती जा रही है। अमेरिका में एरिजोना विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर रूबिन नेमन ने कहा कि हमारी कई स्वास्थ्य चिंताओं का कारण वास्तव में नींद की कमी है, जो REM स्लीप से वंचित होने के कारण होती है।

वह REM या सपनों के नहीं आने के एक अपरिचित सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे के रूप में देखते हैं। यह बीमारी चुपचाप लोगों को अवसाद की ओर ले जाती है और चेतना की कमी का कारण बनती है। न्यूयार्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के एनल्स में प्रकाशित समीक्षा में दवाओं, नींद की बीमारियों, व्यवहार और जीवनशैली से जुड़े कारणों के डेटा का विश्लेषण किया, जो REM या सपनों की कमी के साथ जुड़े थे।

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