कोरोनावायरस अब और ज्यादा खतरनाक होने के साथ ही ज्यादा जानलेवा भी हो गया है. अब कोरोना के लक्षण भी काफी बदल गए हैं. कई बार लोगों को लगता है कि ये लक्षण तो कोरोना का नहीं हैं, तब बीमारी इतनी खतरनाक स्थिति में पहुंच जाती है कि डॉक्टर भी हाथ खड़ा कर देते हैं. दिल्ली में कोरोना के केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. रोजाना 400 से अधिक केस आ रहे हैं. यह खतरे की घंटी है. ऐसे में अगर सावधानी नहीं बरती तो हालात पिछली बार की तरह हो जाएंगे.
सीनियर फिजीशियन डॉ. अजय लेखी का कहना है कि म्यूटेशन की वजह से अब कोरोना ज्यादा खतरनाक हो गया है. अब जब तक मरीज समझ पाता है, तब तक उसकी हालत बहुत खराब हो जाती है. अचानक से तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है.
एलएनजेपी हॉस्पिटल के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि पहले कोरोना का असर फेफड़ों पर ज्यादा होता था, लेकिन अब लीवर और किडनी पर ज्यादा असर डाल रहा है. इसके साथ ही ब्लड क्लॉटिंग की बहुत समस्या हो रही है. इसकी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी बहुत होता है.
ऐसी स्थितियों में मरीज को बचाना बहुत मुश्किल होता है. कोरोना अब और खतरनाक हो गया है. लक्षण भी बिल्कुल नए आ रहे हैं. म्यूटेशन की वजह से यह ज्यादा घातक हो गया है. उन्होंने कहा कि सावधानी बरतें, बिल्कुल भी लापरवाही न करें. अभी केस फिर से बढ़ने लगे हैं. कोरोना के नए केस में ये देखने को मिल रहा है कि पहले वाले लक्षण भी बहुत प्रभावी तरीके से दिखते हैं.
– अब सिर्फ सर्दी-जुमाम या बुखार नहीं होता.
– बदन दर्द, सिर दर्द और ज्यादा आलस भी कोरोना का लक्षण हो सकता है.
– पेट दर्द, त्वचा पर खुजली, सीने में दर्द भी हो सकता है.
भारत में शनिवार को कोविड-19 के 24,882 नए मामले सामने आए. यह एक दिन में इस साल मरीजों की सर्वाधिक संख्या है. इसके साथ ही देश में अबतक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 1,13,33,728 हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नए मामलों की संख्या गत 83 दिन में सबसे अधिक है.
इससे पहले 20 दिसंबर को 26,624 लोगों के 24 घंटे में संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी. मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक गत 24 घंटे में 140 कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है जिन्हें मिलाकर अबतक देश में इस महामारी से 1,58,446 लोगों की जान जा चुकी है. इस समय 2,02,022 मरीज उपचाराधीन हैं जो कुल संक्रमितों का 1.74 प्रतिशत है. वहीं, नए मामलों में बढ़ोतरी की वजह से मरीजों के ठीक होने की दर में भी गिरावट आई है और यह 96.82 प्रतिशत पर पहुंच गई है.