म्यांमार की सेना ने देश में तख्तापलट का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि उन्हें नए कानून के तहत 20 साल तक के लिए जेल में डाला जा सकता है. प्रदर्शनकारियों से कहा गया है कि अगर उन्होंने सुरक्षाबलों के काम में बाधा पहुंचाई या फिर सैन्य शासकों के खिलाफ नफरत भड़काने की कोशिश की तो जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है. म्यांमार की सेना ने एक फरवरी को देश में तख्तापलट कर दिया था.
सेना ने कहा है कि सुरक्षा बलों के काम में बाधा पहुंचाने पर 7 साल की जेल और जनता में डर पैदा करने या अस्थिरता लाने की कोशिश करने पर 3 साल तक की जेल हो सकती है. वहीं, सेना के आदेश के बाद देश के बड़े हिस्से में रविवार से सोमवार के बीच इंटरनेट को बंद कर दिया गया. मिकिइना में सुरक्षाबलों की ओर से गोलीबारी किए जाने की रिपोर्ट भी आई है.
म्यांमार के अहम शहर यांगोन में पहली बार सड़कों पर भी सेना को तैनात किया गया है. नाय पयी तॉ शहर के एक डॉक्टर ने बताया कि सुरक्षा बल रात में घरों पर छापे मार रहे हैं. उन्होंने बताया कि रात 8 बजे से सुबह 4 बजे के बीच लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है. शनिवार को मिलिट्री ने कहा था कि सात नेताओं के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किए गए हैं. मिलिट्री ने उस कानून को भी स्थगित कर दिया था जिसके तहत 24 घंटे से अधिक वक्त तक लोगों को हिरासत में रखने के लिए कोर्ट ऑर्डर हासिल करना जरूरी था.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार के कई प्रमुख शहरों में सेना सड़कों पर उतर आई है. इसी दौरान नियमों में बदलाव करते हुए प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है. इन दिनों म्यांमार में रोज लाखों लोग अलग-अलग प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं और सेना की ओर से तख्तापलट का विरोध कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारी निर्वाचित नेता आंग सान सू की को रिहा करने और लोकतंत्र फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. सोमवार को आंग सान सू के वकील ने बताया कि उन्हें दो दिन और हिरासत में रखा जाएगा. वकील ने कहा कि इसके बाद बुधवार को आंग सान सू को वीडियो लिंक के जरिए कोर्ट में पेश किया जाएगा.
म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की पर गैरकानूनी कम्यूनिकेशन डिवाइस (वाकी-टॉकी) रखने के आरोप लगाए हैं. ये डिवाइस आंग सान सू के सिक्योरिटी स्टाफ इस्तेमाल करते थे. बता दें कि पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में आंग सान सू की पार्टी को बहुमत हासिल हुआ था, लेकिन म्यांमार की सेना ने बिना किसी सबूत के आरोप लगाया था कि चुनाव में धांधली हुई है.