हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर अपना फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आधार अधिनियम की धारा 57 को खत्म कर दिया है। इसमें प्राइवेट कंपनियों को पहचान के उद्देश्य से ग्राहकों का आधार विवरण लेने का प्रावधान था। इस फैसले के बाद अब टेलीकॉम कंपनियों को मोबाइल नंबर से आधार को डीलिंक करना होगा। ऐसे में जिन लोगों ने आधार के साथ अपने मोबाइल नंबर को लिंक किया था, उन्हें पहचान का दूसरा सबूत देना पड़ सकता है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से इस बारे में योजना बनाने को कहा है। यूआईडीएआई के निर्देश के मुताबिक, ‘सभी टेलीकॉम कंपनियों को मोबाइल से आधार को डीलिंक करने के लिए मिले अनुरोध पर तत्काल संज्ञान लेना है। वे ताजा केवार्इसी कर सकती हैं। इसके लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने जिन पहचान के सबूतों को मंजूरी दी है, उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। अनुरोध मिलने के छह महीने के भीतर यह काम करना होगा ताकि मोबाइल नंबर निष्क्रिय नहीं हो।’
सुप्रीम कोर्ट के आधार को दिए गए फैसले के बाद यूआईडीएआई ने कंपनियों को निर्देश दिया कि ना तो अब वो नए सिम के लिए आधार कार्ड की मांग करेंगी और ना ही सिम कार्ड्स के वेरिफिकेशन के लिए इन्हें मांगा जाएगा।
यूआर्इडीएआर्इ ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों से 26 सितंबर को आए फैसले का अनुपालन करने की अपील की जाती है। उन्हें 15 अक्टूबर तक एक्शन प्लान जमा करना होगा जिसमें कंपनियां बताएंगी कि आधार बेस्ड वेरिफिकेशन के इस्तेमाल को कैसे बंद करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक अपनी सर्विस के लिए आधार कार्ड की मांग करने वाले दूसरे सरकारी विभाग भी यूआईडीएआई को इस संबंध में सफाई देंगे। एक अधिकारी ने बताया कि प्राइवेट संस्थानों की ओर से आधार बेस्ड वेरिफिकेशन के इस्तेमाल पर रोक लगने के बाद लोगों की डेटा के दुरुपयोग की चिंताएं खत्म होंगी।
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