गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट आधार पहचान प्रणाली की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अपील की सुनवाई करेगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आधार को बैंक खाते से जोड़ना अनिवार्य है। इस बारे में पीएमएलए कानून में प्रावधान है और रेगुलेटर होने के नाते आरबीआइ पर इस बाबत सर्कुलर जारी करने का कानूनी दायित्व है। आरबीआइ ने ये बात आधार को बैंक खाते से जोड़ने पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कही। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मोबाइल नंबर से जोड़ने की अनिवार्यता पर सवाल उठाया।
आधार कानून की वैधानिकता पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। बैंक खातों से आधार को जोड़ने को लेकर पीएमएलए एक्ट व आरबीआइ के सर्कुलर में अंतर होने के याचिकाकर्ताओं के उठाए मुद्दे का जवाब देते हुए आरबीआइ के वकील जयंत भूषण और कुलदीप परिहार की ओर से कोर्ट में ये सफाई दी गई।
भूषण ने कहा कि पीएमएलए एक्ट (मनी लांड्रिंग कानून) की धारा 9(4) के मुताबिक बैंक खाते को आधार से जोड़ना अनिवार्य है। इस कानून में आरबीआइ को बैंकों का रेगुलेटर होने के नाते इस बाबत नियम जारी करने का दायित्व दिया गया है। आरबीआइ कानून का पालन करने के लिए बाध्य है और इसी के तहत आरबीआइ ने गत 20 अप्रैल को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 35(ए) के तहत संशोधित सर्कुलर जारी किया है। इसमें खातों को आधार से जोड़ना अनिवार्य किया गया है हालांकि सर्कुलर में कहा गया है कि ये कोर्ट के फैसले के आधीन होगा।
मोबाइल को आधार से जोड़ने पर कोर्ट ने उठाया सवाल
कोर्ट ने बुधवार को मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट ने आधार के पक्ष में बहस कर रहे यूआइडीएआइ के वकील राकेश द्विवेदी से कहा कि लोकनीति फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ये कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू को ध्यान में रखते हुए मोबाइल प्रयोगकर्ताओं का सत्यापन होना जरूरी है। उस आदेश में मोबाइल को आधार से जोड़ने की बात नहीं कही गई थी लेकिन आपने उसे आधार बनाकर मोबाइल को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया। हालांकि द्विवेदी ने मोबाइल सिम को आधार से जोड़ने को सही बताते हुए कहा कि ऐसा राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए कानून के तहत किया गया है। ये नियम टेलीग्राफ एक्ट की धारा चार के मुताबिक लागू हुआ है।
आधार को यूपीए-एनडीए दोनों का समर्थन द्विवेदी ने आधार की तरफदारी करते हुए कहा कि ये योजना यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों के समर्थन की है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल जिन्होंने एक पक्षकार की ओर से पेश होकर आधार की कोर्ट में खिलाफत की है वे स्वयं आधार का परीक्षण करने वाली मंत्री समूह के सदस्य थे। द्विवेदी ने सिब्बल पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता आधार पर विचार करने वाले मंत्री समूह के सदस्य थे और अब वे कोर्ट में खड़े होकर कह रहे हैं कि आधार में एकत्र किया जा रहा डेटा का निजी कंपनियां दुरुपयोग कर सकती हैं। द्विवेदी ने कहा कि वे इस बारे मे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते। द्विवेदी के बाद तुषार मेहता ने पक्ष रखा। फिलहाल सेंटर फार सिविल सोसाइटी की ओर से बहस शुरू की गई है जो गुरुवार को भी जारी रहेगी।