केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा, सरकार दिल्ली और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण से मुकाबला करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए सभी संभव तकनीकों को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा, पराली जलाना एक सस्ता तरीका है, लेकिन यह दिल्ली समेत बाकी उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
जावडे़कर ने निजी कंपनी प्राज इंडस्ट्रीज के एक संयंत्र के उद्घाटन कार्यक्रम के डिजिटल संबोधन में कहा, वायु प्रदूषण का कारण बन रहे कोयला आधारित पावर स्टेशन, वाहन प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस तथा पराली जलाने को काबू करने के लिए सभी राज्यों के साथ मिलकर लगातार काम किया जा रहा है। इसके लिए सभी संभव तकनीकी हस्तक्षेप के लिए केंद्र सरकार राज्यों को सहयोग करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने ‘पूसा डिकंपोजर’ तैयार किया है जो पराली को समाप्त करने का एक सस्ता तरीका है। हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच राज्यों में इसका इस्तेमाल किया है और परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है। इसे छिड़कने से पराली समाप्त हो जाती है, इसलिए यह बहुत बड़ी कामयाबी होगी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके मुताबिक आयोग की अध्यक्षता का जिम्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यसचिव और हाल ही में पेट्रोलियम और प्रकृति गैस मंत्रालय से सेवानिवृत सचिव डॉ एमएम कुट्टी को सौंपा गया है। बृहस्पतिवार देर रात जारी अधिसूचना के मुताबिक, आयोग में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार नौटियाल को शामिल किया गया है।
इसके अलावा आईआईटी दिल्ली के मुकेश खरे, मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक केजे रमेश, पूर्णकालिक तकनीकी सदस्य के तौर पर द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के महानिदेशक अजय माथुर और वायु प्रदूषण एक्शन ग्रुप के आशीष धवन को पैनल के गैर सरकारी सदस्य के तौर पर चुना गया है। इसके अलावा 9 पदेन सदस्य भी आयोग में होंगे। इन्हें संबंधित राज्य सरकारों और संगठनों द्वारा चुना जाएगा। इन नए कानून के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल की कैद और एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है।