बेटी निर्भया के दरिंदों की लगातार दूसरी बार फांसी टलने से मां आशा देवी का गुस्सा फूट पड़ा। फैसले के बाद पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर उन्होंने पूछा कि क्या उनकी बेटी से हुई दरिंदगी और हत्या के बाद उपजे आक्रोश को शांत करने के लिए मौत की सजा दी गई थी। बेटी के दोषियों को फांसी पर लटकते देखने की चाह के साथ कोर्ट आई निर्भया की मां कोर्ट के फैसले के बाद रो पड़ीं।
उन्होंने कहा कि दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती दी थी कि फांसी अनंतकाल तक टलेगी। सात साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ था और सरकार बार-बार दोषियों के के सामने उन्हें झुका रही है।
उन्होंने कहा कि वह सरकार से, कोर्ट से, न्याय व्यवस्था से यही कहना चाहती हैं कि इस कानून व्यवस्था की खामी के चलते ही दोषियों का वकील चुनौती दे रहा है कि अनंतकाल तक फांसी नहीं होगी। दोषी जो चाहते थे, वह हो गया और फांसी टल गई।
उन्होंने कहा कि वह हार नहीं मानेंगी और लड़ती रहेंगी। सरकार को दोषियों को फांसी देनी ही होगी नहीं तो पूरे समाज, सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालत को यह स्वीकार करना होगा कि फांसी की सजा सिर्फ गुमराह करने और लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए दी गई थी। बोलीं, इससे अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे। अगर ऐसा ही होना है तो कानून की किताबों को आग लगा देनी चाहिए। एजेंसी
कानून पर भरोसा है, पर इससे अपराधियों का हौसला बढ़ेगा। अगर ऐसा ही होना है तो कानून की किताबों को फूंक देना चाहिए। -निर्भया की मां
तिहाड़ जेल में शुक्रवार को फांसी का ट्रायल जल्लाद पवन की उपस्थिति में हुआ। तय समय पर हुए ट्रायल से पहले जल्लाद से फांसीघर का निरीक्षण किया। उसने लीवर की जांच भी की। फांसी के लिए फंदा भी जल्लाद ने खुद ही तैयार किया। फांसी के समय उपस्थित रहने वाले सभी अधिकारी और कर्मचारी इस दौरान फांसीघर में मौजूद थे।
निर्भया के दोषियों की फांसी फिलहाल टल गई है, लेकिन जेल मनुअल के मुताबिक 1 फरवरी को तय फांसी की तिथि के दो दिन पहले यानी बृहस्पतिवार शाम को ही जल्लाद पवन मेरठ से तिहाड़ जेल पहुंच गया था। उसके रहने की व्यवस्था तिहाड़ की जेल नंबर 6 में की गई थी। वहां पर सुरक्षा के इंतजाम भी थे। रात में जेल अधिकारियों ने पवन से बातचीत की। इस दौरान उसे दोषियों के वजन, लंबाई और गले के नाप से अवगत कराया गया।
सुबह करीब तीन बजे पवन को फांसी के ट्रायल के लिए उठाया गया। तैयार होने के बाद पवन ने बिहार के बक्सर से लाई गई रस्सी का फंदा तैयार कर लिया। उसकी जांच-परख के बाद वह तय समय पर अधिकारियों के साथ फांसीघर पहुंचा। वहां उसने कैदियों के मुताबिक तैयार पुतलों की जांच की और फिर उन्हें फंदे पर लटकाया। अधिकारियों ने रुमाल गिराकर इशारा किया और पवन ने तुरंत लीवर गिरा दिया।
निर्भया मामले में फैसला सुनाते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा कहा, दोषियों द्वारा सजा टालने के लिए अपनाए गए दांवपेंचों पर टिप्पणी किए बिना, यह कहना काफी होगा कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से शिकायतों के निपटारे की अपील करना किसी भी सभ्य समाज की पहचान है। जज ने कहा, देश की अदालतें किसी दोषी को मौत की सजा देने, उसके कानूनी उपायों की तलाश आदि में भेदभाव नहीं कर सकतीं।
उपरोक्त बहस के संचित प्रभाव के रूप में, मेरा मानना है कि इस कोर्ट द्वारा 17 जनवरी 2012 को जारी डेथ वारंट के क्रियान्वयन को अगले आदेश तक टाला जाता है। कोर्ट ने कहा कि आदेश की एक प्रति कोर्ट में मौजूद दोषियों और जेल अधिकारियों को दी जाए। साथ ही तिहाड़ जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह शनिवार तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें। एजेंसी