भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने संस्मरण ‘बाय मैनी अ हैप्पी एक्सीडेंट’ में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनपर राज्यसभा में हंगामे के बीच विधेयकों को पारित कराने का दबाव डाला था। अंसारी के अनुसार, उन्होंने हंगामे के बीच किसी भी विधेयक को पारित करने से इनकार कर दिया था। लेकिन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अंसारी के उप-राष्ट्रपति पद पर रहते हुए यूपीए के कार्यकाल के दौरान कई विधेयकों को हंगामे के बीच ही पारित किया गया था।
अपनी किताब में पूर्व उप-राष्ट्रपति ने दावा किया है कि एक दिन अचानक प्रधानमंत्री मोदी उनके कमरे में आए और उन्होंने कहा कि सभापति के रूप में उनकी यह भूमिका कि कोई भी विधेयक हंगामे के बीच पारित नहीं होगा, राज्यसभा से विधेयक पारित कराने में अड़चन पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, ‘आपसे बड़ी जिम्मेदारियों की उम्मीदें हैं लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं।’
अंसारी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्यसभा के अंदर और बाहर का उनका काम सार्वजनिक है। इसपर प्रधानमंत्री ने पूछा, ‘हंगामे में विधेयक क्यों नहीं पास किए जा रहे हैं?’ हालांकि सरकारी सूत्रों ने पूर्व राज्यसभा सभापति के दावों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के शासन के दौरान 13 विधेयकों को हंगामे के दौरान पास किया गया था। ये विधेयक 2007 से 2014 के बीच पारित किए गए थे।
इनमें मर्चेंट शिपिंग, कैरिज बाय रोड, कंपटीशन संशोधन, सिगरेट एंड अदर टौबेको प्रोडक्ट, एससी-एसटी पदों में आरक्षण, आईटी संशोधन, एम्स संशोधन, रेलवे एप्रोप्रिएशन और आंध्रप्रदेश पुनर्गठन जैसे विधेयक शामिल थे। सरकार की तरफ से अंसारी के दावों को ऐसे समय पर खारिज किया गया है जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाए हैं।
किताब में अंसारी ने लिखा है, ‘एनडीए को ऐसा लगा कि लोकसभा में उसका बहुमत उसे राज्यसभा के नियमों को दरकिनार करने का नैतिक अधिकार देता है। इसकी संकेत मुझे आधिकारिक तौर पर दिया गया था और कुछ हद तक असामान्य रूप से उस दिन मिला, जब प्रधानमंत्री मोदी ने मेरे राज्यसभा कार्यालय में प्रवेश किया था। उन्होंने मुझसे कहा कि आपसे बहुत सारी उम्मीदें हैं लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं।’