नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इकोनॉमिस्ट अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि भारत शायद मंदी के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने कहा कि ‘आंकड़ों में तो ऐसा कुछ नहीं है’ जिससे इस बात पर यकीन न हो. कोलकाता में एक साहित्यिक कायक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि इस समय सरकार को बैंकिंग सेक्टर में पूंजी डालने पर जोर देना चाहिए, जो मुश्किल में चल रहा है.
बनर्जी ने कहा, ‘मैं यह कह सकता हूं कि यह मंदी का दौर हो सकता है. लेकिन मैं नहीं कह सकता कि यह कितना है. आंकड़ों में ऐसा कुछ नहीं है जो यह बताए कि मंदी नहीं है. ‘गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम्स’ के लेखक बनर्जी ने इस बात की वकालत की कि धनी लोगों पर वेल्थ टैक्स लगाया जाना चाहिए और धन का पुनर्वितरण होना चाहिए.
बनर्जी ने कहा, ‘भारत में मौजूदा असमानता के हालात को देखते हुए एक वेल्थ टैक्स लगाना पूरी तरह से समझदारी वाली बात है. ऐसे हालात में ज्यादा पुनर्वितरण की जरूरत है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह जल्दी होने वाला है.’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक 58 साल के भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री बनर्जी ने कहा कि बैंकिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को सरकार से ज्यादा फंडिंग की जरूरत है.
असंगठित क्षेत्र को लेकर बनर्जी ने कहा कि यह क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, लेकिन इसको लेकर हमारे पास कोई विश्वसनीय डेटा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने एअर इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों के निजीकरण को सही ठहराया.
हाल ही में सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती किए जाने पर बनर्जी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि कॉरपोरेट सेक्टर नकदी के ढेर पर बैठा है.’ बनर्जी ने केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमें उनकी बातों पर गौर करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि मौजूदा समय में जो डेटा हमारे पास उपलब्ध है, वह 1991 के डेटा से भी बदतर है. हमारा निवेश, आयात और निर्यात 1991 से भी खराब स्थिति में है. उस साल भी हम मंदी के दौर में थे.’
गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गई है. कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को काफी घटा दिया है.
केंद्र सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) ने इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 में जीडीपी में 5 फीसदी तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 4.8 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है. फिच ने 4.6 फीसदी, एडीबी ने 5.1 फीसदी, रिजर्व बैंक ने 5 फीसदी और वर्ल्ड बैंक ने 5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है.