मोदी सरकार आरक्षण के समर्थन में हमेशा रही है अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी इसका समर्थन किया था: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले

आरक्षण के मुद्दे पर आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर संसद में भी हंगामा हुआ. विपक्ष ने सरकार से मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार जल्द से जल्द पुनर्विचार याचिका लगाए और अगर पुनर्विचार याचिका पर राहत नहीं मिलती तो कानून बनाकर या अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटे.

राज्यसभा में चर्चा के दौरान बसपा सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि सरकार इस मामले पर जो बात कह रही है उससे यह साफ नहीं हो रहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ है या खिलाफ. सतीश मिश्रा ने कहा कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई स्टैंड लेगी या फिर सरकार की नियत ही नहीं है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने की.

कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार इसकी गंभीरता को नहीं समझ रही. दलित समाज हजारों सालों से शोषित और उपेक्षित रहा है. संविधान सभा में एससी एसटी को रिजर्वेशन दिया था. हम तो हमेशा से ही पदोन्नति में आरक्षण की वकालत करते रहे हैं. उत्तराखंड सरकार के जो वकील कोर्ट में पेश हुए उन्होंने खुद कहा कि ना तो नौकरी में और ना ही पदोन्नति में आरक्षण होना चाहिए. हम उम्मीद कर रहे थे कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाएगी और अपने फैसले को बदलने की मांग करेगी और अगर सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगी तो संसद में कानून लाकर फैसले को पलटेंगे.

आजाद ने कहा कि ये देश की एक चौथाई आबादी के लिए ज़िंदगी और मौत का सवाल है. केंद्र सरकार कैबिनेट बैठक में तय करें कि वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की मांग करेंगे और अगर सुप्रीम कोर्ट नहीं करता तो उस संसद में कानून लाकर उसे बदलाव करें.

गुलाम नबी के बाद समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा इस मामले पर केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने जो बात कही है वह अपर्याप्त है. सरकार से सीधा सवाल पूछा कि क्या सरकार इस मामले पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट लगाएगी और अगर दायर करेगी तो कब तक. रामगोपाल यादव ने इसके साथ ही न्यायपालिका में भी आरक्षण की बात कही.

रामगोपाल यादव ने कहा सरकार अब न्यायपालिका में भी आरक्षण की व्यवस्था पर चर्चा शुरू करें क्योंकि जो लोग न्याय व्यवस्था में आ रहे हैं वह तब तक इस तरह के फैसले लेते रहेंगे जब तक खुद न्याय व्यवस्था में आरक्षण लागू नहीं हो जाता. रामगोपाल यादव ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी और अगर नहीं करती तो अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटें.

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आरक्षण के समर्थन में रही है. इतना ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी इसका समर्थन किया था. इस मुद्दे पर कोई भी विरोध नहीं कर रहा है. हम प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे और संशोधन के लिए बिल लाने की मांग करेंगे.

वहीं बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव ने संसद में बयान देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है यह 2012 के मामले में आया है उस दौरान उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी.

तत्कालीन कांग्रेस सरकार की केबिनेट ने फैसला लिया था उसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा था. रही बात सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तो सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आरक्षण देने को लेकर जो डाटा की बात कही गई है उस तक ही सीमित है. भारत सरकार इसमें पक्षकार तक नहीं थी.

भूपेंद्र यादव के बाद केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है. एलजेपी की तरफ से मैं भी मानता हूं कि न्यायिक व्यवस्था में भी आरक्षण हो. संविधान में आरक्षण को लेकर जो भी बात है उसको नाइंथ शेड्यूल में डालना चाहिए जिससे कि वो न्यायिक समीक्षा से बाहर रहे.

इससे पहले एससी एसटी एक्ट के मामले में भी इसी तरीके से हंगामा हुआ था लेकिन मोदी सरकार ने पहले कैबिनेट में और बाद में संसद से पास करवा कर कानून में बदलाव कर दिया. घबराने की कोई बात नहीं है नरेंद्र मोदी की सरकार है कोई भी आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता है. इस आरक्षण को कायम रखने के लिए जो भी करना होगा वह किया जाएगा.

अंत में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने राज्यसभा में बयान देते हुए कहा कि हमारी सरकार एससी-एसटी और ओबीसी के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध है. इस विषय पर भी उच्च स्तरीय विचार-विमर्श के बाद कोई फैसला किया जाएगा.

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