मोदी सरकार: अब नियोक्ता को हर कर्मचारी को सैलरी स्लिप देनी होगी

श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर सरकार के खिलाफ बनती धारणा और राजनीतिक हमलों को देखते हुए अब केंद्र सरकार ने कामगारों के न्यूनतम वेतन तय करने के लिए ज्यादा प्रभावी कानून लाने की तैयारी शुरू की है. सरकार ने ड्राफ्ट कोड ऑन वेज सेंट्रल रूल्स के लिए गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.

इससे देशभर के 50 करोड़ कर्मचारियों-श्रमिकों को फायदा हो सकता है. सरकार ने मंगलवार को ही यह गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया है और इसमें सभी पक्षों की राय मांगी गई है जिसके बाद अंतिम नियम-कानून तैयार किए जाएंगे.

गौरतलब है कि संसद में एक साल पहले ही कोड ऑन वेजेज बिल पारित हो चुका है. सरकार का दावा है कि इसमें न केवल लोगों की जीविका बल्कि उनके बेहतर जीवन का ध्यान रखा गया है. प्रारूप के मुताबिक न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकारों के पास होगा.

श्रम सुधारों के तहत सरकार ने चार लेबर कोड प्रस्तावित किए हैं जिनमें से पहला न्यूनतम वेतन का अधिकार ही है. कोरोना संकट के बीच हाल में कई राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों को इंडस्ट्री के पक्ष में लचीला बना दिया है जिसकी वजह से ट्रेड यूनियन्स उनकी आलोचना कर रहे हैं और केंद्र सरकार की छवि पर भी असर पड़ा है.

पहले के विपरीत इस ड्राफ्ट में एक बड़ा बदलाव यह है कि नियोक्ता को हर कर्मचारी को सैलरी स्लिप देना होगा, चाहे वह फिजिकल हो या इलेक्ट्रॉनिक रूप में. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कामगारों का उत्पीड़न कम होगा.

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक इसमें 123 तरह के पेशे को शामिल किया गया है. अकुशल श्रेणी में लोडर या अनलोडर, लकड़ी काटने वाले, ऑफिस ब्वॉय, क्लीनर, गेटमैन, स्वीपर, अटेंडेंट, बेलदार आदि शामिल हैं.

अर्द्ध कुशल कर्मचारियों में 127 पेशे शामिल हैं, जिनमें रसोइया या बटलर, खलासी, धोबी, जमादार आदि शामिल हैं. कुशल श्रेणी में 320 तरह के पेशे शामिल हैं जिनमें मुंशी, टाइपिस्ट, बुककीपर, लाइब्रेरियन, हिंदी अनुवादक, डेटा एंटी ऑपेरटर आदि शामिल हैं. इसके बाद उच्च कुशल कर्मचारियों की भी एक श्रेणी है जिसमें आर्म्ड सिक्योरिटी गॉर्ड, हेड मेकैनिक्स, कंपाउडर, स्वर्णकार आदि शामिल हैं.

प्रारूप के मुताबिक न्यूतनम वेतन तय करने में परिवार को आधार बनाया जाएगा. ऐसा माना गया है कि एक स्टैंडर्ड वर्किंग क्लास परिवार मे अगर कर्मचारी के अलावा उसकी पत्नी और दो बच्चे हों तो ये मिलकर कम से कम तीन वयस्क लोगों के बराबर भोजन करेंगे और प्रति व्यक्ति को कम से कम 2700 कैलोरी प्रति दिन मिलना चाहिए. इसी तरह इस परिवार को हर साल करीब 66 मीटर कपड़े की जरूर होगी. उसके कमरे का किराया खाने और कपड़े पर कुल खर्च का करीब 10 फीसदी होगा. उसका ईंधन पर खर्च, बिजली बिल और अन्य खर्चे न्यूनतम वेतन के करीब 20 फीसदी हो सकते हैं. इनके अलावा बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा जरूरतों, मनोरंजन, आकस्मिक खर्चों आदि का भी ध्यान रखा जाएगा.

इस नए प्रारूप में कहा गया है कि सामान्य कामकाजी दिन में किसी कर्मचारी को सिर्फ 8 घंटे काम करने होंगे. उसे एक या उससे ज्यादा बार ब्रेक भी मिलेगा. यह कुल​ मिलाकर एक घंटे का होगा. इसी तरह हफ्ते में एक दिन साप्ताहिक अवकाश होगा.

गौरततलब है कि कई राज्य सरकार ने कोरोना संकट के बीच काम के घंटे बढ़ाकर 12 कर दिए हैं, जिसकी काफी आलोचना भी हो रही है.

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