इस्लामाबाद। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के तल्ख होते रिश्तों के बीच एक नया देश आया है।
इस देश का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहें तो वह कश्मीर मुद्दे पर अहम भूमिका निभा सकता है।
कश्मीर ऑब्सर्वर के मुताबिक यह देश चीन, अमेरिका, रूस या अफगानिस्तान नहीं, बल्कि ईरान है।
पाकिस्तान में ईरान के राजूदत मेहंदी हुनर दोस्त ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में इस बाबत खुलकर बात की।
उन्होंने कहा, ‘दोनों देश चाहें तो ईरान कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में अहम मदद कर सकता है।’
दोस्त ने आगे कहा, ‘ईरान और पाकिस्तान पुराने दोस्त हैं। दोनों देशों के इस रिश्ते को जिया है। हम कई मुद्दों पर एक-दूसरे का साथ निभाते आए हैं।’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आजादी के बाद सबसे पहले ईरान ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
ईरान के राजदूत ने कहा कि उनका देश किसी भी मुद्दे पर सबसे पहले पाकिस्तान की सोचेगा। इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
ईरानी राजदूत के इस बयान के भारत के लिए अलग मायने हैं। बीते मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र ईरान गए थे। इस दौरान ईरान के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की तारीफ भी की थी।
प्रधानमंत्री ने इस यात्रा के दौरान रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता 13 साल से लटका हुआ था।
चाबहार दक्षिण-पूर्व ईरान का बंदरगाह है। इसके जरिए भारत को पाकिस्तान से होकर गए बिना ही अफगानिस्तान तक पहुंचने का रास्ता मिल सकेगा।
अफगानिस्तान के साथ भारत के नजदीकी सुरक्षा और आर्थिक संबंध हैं।
भारत के लिए काफी रणनीतिक महत्व रखने वाला यह बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।
यह फारस की खाड़ी के बाहर स्थित है और भारतीय पश्चिमी तट से इस पर आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है।
ऐसे में अब अगर ईरान का रुख पाकिस्तान की तरफ होता है, तो यह भारत के मुश्किल पैदा कर सकता है।
हालांकि ईरान ने खुद इस बारे में कुछ नहीं कहा है।