प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की शुरुआत की थी. उनकी इस पहल को बढ़ाते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने 2015 में सोलर पॉलिसी 2015 लागू की थी. इसमें सस्ती बिजली के लिए लोगों को अपने घर की छत पर ही सोलर प्लेट लगवाने का प्रावधान किया था. अब उन्होंने कई सुधारों के साथ राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति 2021 की घोषणा की है.
सीएम रुपाणी ने ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल की उपस्थिति में नई सौर ऊर्जा नीति 2021 की घोषणा करते हुए सबसे बड़ा मूलमंत्र है ‘मेड इन गुजरात’ ब्रांड को दुनिया में फैलाना. नई नीति में सौर ऊर्जा को कॉरपोरेट जगत में बढ़ावा दिया जाएगा. इससे उद्योगों की प्रोडक्ट कॉस्ट घटेगी और प्रोडक्शन बढ़ेगा. फलाफल ये होगा कि मेड इन गुजरात यानी गुजरात में बने प्रॉडक्ट्स की डिमांड बढ़ेगी.
अब तक उद्योगों में कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता है. सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ने से धीरे-धीरे कोयला आधारित बिजली का उत्पादन कम होगा. गुजरात को इको फ्रेंडली ग्रीन-क्लीन एनर्जी प्राप्त होगी. सीएम रुपाणी के मुताबिक, सरकार का उद्देश्य गुजरात को ग्रीन एनर्जी हब बनाने का है. उनका कहना है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने में नई सौर ऊर्जा नीति 2021 मील का पत्थर साबित होगी.
गुजरात में सोलर रूफटॉप योजना के तहत लगभग 800 मेगावॉट सोलर एनर्जी का उत्पादन हो रहा है. सरकार ने 11 हजार मेगावॉट ग्रीन ऊर्जा उत्पादन की क्षमता हासिल कर ली है और साल 2022 तक 30 हजार मेगावॉट तक ले जाने का लक्ष्य है. इसमें विंड एनर्जी या पवन ऊर्जा और सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा दोनों शामिल है.
नई सोलर एनर्जी पॉलिसी में विशेष रूप से MSME यानी छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए कई प्रोत्साहनों का प्रावधान किया गया है. इससे MSME इकाइयों का उत्पादन लागत कम होगा और ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धी बढ़ेगी. ऐसे में आम आदमी को भी फायदा होगा और रोजमर्रा कजी जरूरत वाले सामान सस्ते में मिलेंगे. घर का बजट सुधरेगा.
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के मुताबिक, कच्छ जिले के खावड़ा के पास दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पार्क की आधारशिला रखी गई है, जिसे 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जाना है. यह हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी पार्क प्रदेश को सौर ऊर्जा के विकास में एक नई दिशा देगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 30 गीगावॉट की क्षमता वाले इस नवीकरणीय ऊर्जा पार्क से भविष्य में 60,000 मिलियन यूनिट क्लीन-ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा.
इससे पर्यावरण प्रदूषित भी नहीं होगा. करीब 60 मिलियन टन कार्बन कम उत्सर्जित होगा. करीब 40 मिलियन टन कोयले की बचत भी होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना लगभग 25,000 लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. इस पार्क से अन्य राज्यों को भी सौर ऊर्जा मिलेगी और उन राज्यों के उद्योगों से भी हजारों लोगों को रोजगार मिलेंगे.