मेट्रो-बुलेट ट्रेन की बात करना फैशन जैसा : भीष्म कुमार चुघ

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भोपाल- इंदौर में मेट्रो चलाने की कवायद नए कलेवर में फिर दिखाई देने लगी है। गति और सुविधा की बेहतरीन जुगलबंदी मेट्रो ट्रेन को लेकर एक दूसरा पक्ष भी सामने आता है। देश के जाने-माने इंजीनियर एवं भूतल व परिवहन मंत्रालय में नेशनल लेवल प्रोजेक्ट मॉनीटर भीष्म कुमार चुघ इस बारे में बेबाकी से कहते हैं- मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि भोपाल में मेट्रो रेल चलाने की बात न करें।

शैल-शिखर और झीलों के लिए विख्यात और कुदरती सुंदर भोपाल मेट्रो के लिए उपयुक्त नहीं है। पहले व्यावहारिक धरातल पर इसका परीक्षण जरूरी है। हां, इंदौर में आर्गेनिक पैटर्न है, भौगोलिक स्थिति अनुकूल है वहां मेट्रो प्रोजेक्ट उपयोगी रहेगा। भोपाल में लोक परिवहन के रूप में ‘मोनो रेल’ और ‘रोप वे’ बेहतर विकल्प रहेंगे। इनसे शहर की सुंदरता भी बढ़ेगी लेकिन मेट्रो से तो शहर का सौंदर्य ही तबाह हो जाएगा। आजकल मेट्रो की बात करना फैशनपरस्ती हो गई है ताकि लोगों को लगे कि विकास की बात हो रही है।

दिल्ली में फ्लायओवर का नेटवर्क खड़ा करने वाले भीष्मकुमार मूलत: मप्र और भोपाल के एमएसीटी में पढ़ कर निकले हैं। लोक परिवहन के वैकल्पिक उपायों और मेट्रो रेल की उपयोगिता पर नईदुनिया ने उनसे विशेष बातचीत की। वे कहते हैं कि मैं इसे एकदम राजनीतिक चोचलेबाजी तो नहीं कह रहा लेकिन मेट्रो- बुलेट ट्रेन की बात करना फैशन जैसा हो गया है। व्यावहारिक जरूरतें और समस्याएं देखना जरूरी हैं, उसके बाद उपाय तलाशना होगा। पेश है बातचीत

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