जरायम की दुनिया में मुकाम बना चुके मुन्ना बजरंगी का झुकाव बसपा के साथ ही कांग्रेस की ओर था। इनके साथ ही वह भाजपा में भी पैठ बनाने की जुगत में लगा था।
मुन्ना बजरंगी ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी इस दौरान महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था। जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे। यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे।
भाजपा से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे। मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे। मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था।
उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था। उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से गिरफ्तारी कराई थी। मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है। इसी कारण उसे गिरफ्तार किया गया। तब से उसे अलग-अलग जेल में रखा जा रहा है। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं।