एजेंसी/ नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गरीबी की खाई को पाटने के लिए अपना विजन बताया है। बतौर मुखर्जी भारत को अगले 15-20 सालों में अपनी वार्षिक वृद्धि दर में 8-9 फीसदी की बढ़त लानी होगी। इशशए यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि गरीबी पूरी तरह से खत्म हो और केवल उन्मूलन तक ही सीमित न हो।
भारतीय आर्थिक सेवा के 2014 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों से मंगलवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी की। प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने जो कुछ हासिल किया है, उस पर उन्हें गर्व है और भारत क्या हासिल कर सकता है, इसके लिए वह आशावान हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे है। 1951 से 1979 तक भारत की औसत वृद्धि दर 3.5 थी, जिसे हिंदू वृद्धि दर की संज्ञा दी गई थी। 1980 के दशक में अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी हुई औऱ हम 5-5.6 की दर तक पहुंच गए। 1991 में हमारी औसत वृद्धि 7 फीसदी हो गई।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी मौजूदा वृद्धि दर 7.6 है। लेकिन इसमें लगातार वृद्धि की जरुरत है, शिथिल नहीं पड़ना है। विकास के लक्ष्य को पाने के लिए आने वाले 15-20 सालों में हमें 8-9 फीसदी की दर को छूना है।
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