नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा लगाए गए ऊंचाई प्रतिबंधों के कारण मुंबई हवाई अड्डे के रनवे फनल जोन में स्थित 6000 से अधिक इमारतों का पुनर्विकास अधर में लटका हुआ है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने नागरिक उड्डयन मंत्री के आर नायडू को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में मुंबई हवाई अड्डे के रनवे फनल जोन से प्रभावित क्षेत्र को बुनियादी ढांचा प्रभावित घोषित करने की मांग की है।
मुंबई हवाई अड्डे के रनवे फनल जोन से प्रभावित क्षेत्र को ‘बुनियादी ढांचा प्रभावित’ घोषित करने की मांग हो रही है। दरअसल, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने नागरिक उड्डयन मंत्री के आर नायडू को इस मुद्दे को लेकर एक पत्र लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने कहा है कि ‘नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा लगाए गए ऊंचाई प्रतिबंधों के कारण मुंबई हवाई अड्डे के रनवे फनल जोन में स्थित 6000 से अधिक इमारतों का पुनर्विकास अभी भी अधर में लटका हुआ है।
क्या है फनल जोन और इससे क्या आती है दिक्कतें
बता दें कि फनल जोन में वे क्षेत्र शामिल हैं जो लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान उड़ानों द्वारा अपनाए जाने वाले विशिष्ट पथों के साथ रनवे के साथ संरेखित होते हैं। मुंबई उत्तर मध्य संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि ‘इससे कई पुनर्विकास परियोजनाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। विले पार्ले, सांताक्रूज़, कुर्ला और घाटकोपर (पश्चिम) में रहने वाले छह से आठ लाख मुंबईकर अनिश्चित स्थिति में हैं। रुकी हुई विकास परियोजनाओं के कारण निवासियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।’
झुग्गियों का पुनर्विकास भी हो रहा प्रभावित
गायकवाड़ ने कहा, ‘इनमें से कई इमारतें छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बनने से पहले से ही मौजूद हैं। इन इमारतों को पुनर्विकास की तत्काल आवश्यकता है। इस क्षेत्र में झुग्गियों का पुनर्विकास भी प्रभावित है। हवाई अड्डे पर परिचालन की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरकार को फनल जोन प्रतिबंधों से प्रभावित परिवारों के मुद्दे पर विचार करना चाहिए।’
लोकसभा सांसद ने कहा कि उच्च आवृत्ति संचार प्रणाली के साथ ट्रांसमिशन टावरों को इस तरह से स्थानांतरित किया जाना चाहिए कि देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक की सुरक्षा से समझौता न हो। कांग्रेस नेता ने मांग की कि इसी तरह, हवाई अड्डे पर सुरक्षा से समझौता किए बिना, फनल लाइन के पुनर्मूल्यांकन की व्यवहार्यता पर भी विचार किया जाना चाहिए।