एजेंसी/कोलकाता के सोनागाछी में स्थित रेड लाइट एरिया को एशिया और भारत का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कहा जाता है। यहां करीब 14 हजार सेक्स वर्कर्स काम करती हैं। लेकिन इसके अलावा बाकी और बड़े रेड लाइट एरिया कौन से हैं ? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कोलकाता सहित भारत के 8 सबसे बड़े रेड लाइट एरिया के बारे में। और किन-किन शहरों में हैं बड़े रेड लाइट एरिया…
कमाठीपुरा, मुंबई
हालांकि, सेक्स वर्कर्स का काम गैरकानूनी है, लेकिन मुंबई सहित तमाम शहरों में यह कारोबार चलता है। कमाठीपुरा को मुंबई का सबसे पुराना और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कहा जाता है। पहले जहां इसे लाल बाजार कहा जाता था, बाद में यहां रहने वाले वर्कर्स (कमाठी) की वजह से इसे कमाठीपुरा कहा जाने लगा। ये वर्कर्स यहां कंस्ट्रक्शन का काम करते थे।
1992 में यहां काम करने वाले सेक्स वर्कर्स की संख्या जहां करीब 50 हजार थी, 2009 में यह आंकड़ा करीब 1600 पर पहुंच गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रहने की कम पड़ती जगह की वजह से कई सेक्स वर्कर्स महाराष्ट्र के ही दूसरे हिस्सों में चली गईं। बाकी सेक्स वर्कर्स यहां बेहद खराब हालात में रहती हैं।
बुधवार पेठ, पुणे
अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, करीब 5 हजार सेक्स वर्कर्स यहां काम करती हैं। बुधवार पेठ को इलेक्ट्रॉनिक सामान और किताबों के व्यस्त मार्केट के तौर पर भी जाना जाता है। यहीं पर भारत में गणेश का सबसे अमीर मंदिर दगादुशेठ हलवाई गनपति टेम्पल भी है। 2015 की एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, यहां करीब 440 कोठे हैं और 5 हजार सेक्स वर्कर्स यहां रहती हैं।
अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, करीब 5 हजार सेक्स वर्कर्स यहां काम करती हैं। बुधवार पेठ को इलेक्ट्रॉनिक सामान और किताबों के व्यस्त मार्केट के तौर पर भी जाना जाता है। यहीं पर भारत में गणेश का सबसे अमीर मंदिर दगादुशेठ हलवाई गनपति टेम्पल भी है। 2015 की एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, यहां करीब 440 कोठे हैं और 5 हजार सेक्स वर्कर्स यहां रहती हैं।
मीरगंज, इलाहाबाद
कई रिपोर्ट्स में इलाहाबाद के इस रेड लाइट एरिया को जबरन वेश्यावृति और लड़कियों की अवैध खरीद-बिक्री के लिए बदनाम बताया गया है। कई इसे विजिटर्स के लिए भी खतरनाक मानते हैं। यहां लूट-पाट की घटनाएं होती रहती हैं।
हालांकि, मीरगंज को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म स्थान के तौर पर भी जाना जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैरिस्टर रहे जवाहर लाल के पिता मोतीलाल नेहरू मीरगंज इलाके में किराए के मकान में रहते थे।
कई रिपोर्ट्स में इलाहाबाद के इस रेड लाइट एरिया को जबरन वेश्यावृति और लड़कियों की अवैध खरीद-बिक्री के लिए बदनाम बताया गया है। कई इसे विजिटर्स के लिए भी खतरनाक मानते हैं। यहां लूट-पाट की घटनाएं होती रहती हैं।
हालांकि, मीरगंज को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म स्थान के तौर पर भी जाना जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैरिस्टर रहे जवाहर लाल के पिता मोतीलाल नेहरू मीरगंज इलाके में किराए के मकान में रहते थे।
जीबी रोड, दिल्ली
सेंट्रल दिल्ली में स्थित यह रेड लाइट एरिया भी काफी चर्चित रहा है। जीबी रोड में काफी संख्या में हार्डवेयर की दुकानें हैं और दुकानों के ऊपर बने कमरों में सेक्स वर्कर्स रहती हैं। सेक्स वर्कर्स की अलग-अलग इमारतों को एक खास नंबर दिया गया है। कुछ जगहों पर सेक्स वर्कर्स के साथ-साथ गाना-गाने वाले भी रहते हैं जो विजिटर्स का मनोरंजन करते हैं।
सेंट्रल दिल्ली में स्थित यह रेड लाइट एरिया भी काफी चर्चित रहा है। जीबी रोड में काफी संख्या में हार्डवेयर की दुकानें हैं और दुकानों के ऊपर बने कमरों में सेक्स वर्कर्स रहती हैं। सेक्स वर्कर्स की अलग-अलग इमारतों को एक खास नंबर दिया गया है। कुछ जगहों पर सेक्स वर्कर्स के साथ-साथ गाना-गाने वाले भी रहते हैं जो विजिटर्स का मनोरंजन करते हैं।
चतुर्भुज स्थान, मुजफ्फरपुर
बिहार में स्थित यह रेड लाइट एरिया काफी पुराना है। पुराने जमाने में यहां काम करने वाले महिलाओं को शिवदासी कहा जाता था। यहां पर कुछ मंदिर भी हैं और उसके आसपास के घरों में सेक्स वर्कर्स रहती हैं। कुछ साल पहले यहां की एक सेक्स वर्कर रानी बेगम ने मुजफ्फरपुर के म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में काउंसलर का चुनाव जीत लिया था।
बिहार में स्थित यह रेड लाइट एरिया काफी पुराना है। पुराने जमाने में यहां काम करने वाले महिलाओं को शिवदासी कहा जाता था। यहां पर कुछ मंदिर भी हैं और उसके आसपास के घरों में सेक्स वर्कर्स रहती हैं। कुछ साल पहले यहां की एक सेक्स वर्कर रानी बेगम ने मुजफ्फरपुर के म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में काउंसलर का चुनाव जीत लिया था।
शिवदासपुर, वाराणसी
वाराणसी को पुराने जमाने में तवायफ कल्चर के लिए जाना जाता था। अब सेक्स वर्कर्स यहां काफी कम हैं, लेकिन पहले इसकी गिनती प्रमुख रेड लाइट एरिया में होती थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ साल पहले सरकार के प्रयास से शिवदासपुर फर्स्ट ‘चाइल्ड प्रॉस्टीट्यूशन फ्री’ एरिया बनने में भी कामयाब रहा।
वाराणसी को पुराने जमाने में तवायफ कल्चर के लिए जाना जाता था। अब सेक्स वर्कर्स यहां काफी कम हैं, लेकिन पहले इसकी गिनती प्रमुख रेड लाइट एरिया में होती थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ साल पहले सरकार के प्रयास से शिवदासपुर फर्स्ट ‘चाइल्ड प्रॉस्टीट्यूशन फ्री’ एरिया बनने में भी कामयाब रहा।
इतवारी, नागपुर
नागपुर के इतवारी इलाके में मौजूद रेड लाइट एरिया को गंगा-जमुना के नाम से भी जाना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स में इसे बढ़ती क्रिमिनल एक्टिविटी वाली जगह भी बताया गया है और यहां स्मगलिंग का काम भी होता है। अनुमान के मुताबिक, करीब 100 साल पुराने इस रेड लाइट एरिया में लगभग 3 हजार सेक्स वर्कर्स काम करती हैं।
नागपुर के इतवारी इलाके में मौजूद रेड लाइट एरिया को गंगा-जमुना के नाम से भी जाना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स में इसे बढ़ती क्रिमिनल एक्टिविटी वाली जगह भी बताया गया है और यहां स्मगलिंग का काम भी होता है। अनुमान के मुताबिक, करीब 100 साल पुराने इस रेड लाइट एरिया में लगभग 3 हजार सेक्स वर्कर्स काम करती हैं।
सोनागाछी, कोलकाता
यह एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया के रूप में मशहूर है। एक अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 14 हजार महिलाएं इस प्रोफेशन में हैं। भारतीयों के अलावा काफी संख्या में नेपाली, बांग्लादेशी महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। इनमें काफी संख्या नाबालिग लड़कियों की भी है। कई न्यूज रिपोर्ट्स में सोनागाछी को हाई क्राइम रेट वाली जगह भी बताया जाता है। यहां के बच्चों की जिंदगी पर आधारित बॉर्न इन्टु ब्राथल्स (2004) डॉक्यूमेंट्री बनाई गई थी, जिसे ऑस्कर अवॉर्ड मिला था।
यह एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया के रूप में मशहूर है। एक अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 14 हजार महिलाएं इस प्रोफेशन में हैं। भारतीयों के अलावा काफी संख्या में नेपाली, बांग्लादेशी महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। इनमें काफी संख्या नाबालिग लड़कियों की भी है। कई न्यूज रिपोर्ट्स में सोनागाछी को हाई क्राइम रेट वाली जगह भी बताया जाता है। यहां के बच्चों की जिंदगी पर आधारित बॉर्न इन्टु ब्राथल्स (2004) डॉक्यूमेंट्री बनाई गई थी, जिसे ऑस्कर अवॉर्ड मिला था।