बसपा सुप्रीमो मायावती ने मदरसों के सर्वे पर सवाल उठाया है। मायावती ने कहा कि गैर सरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते तो फिर इनमें दखल क्यों? उन्होंने कहा कि सरकारी मदरसा बोर्ड के मदरसों के टीचर व स्टाफ के वेतन आदि के लिए बजट प्रावधान हेतु खास तौर से सर्वे कराया जाता है, तो क्या यूपी सरकार इन प्राइवेट मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करके उन्हें सरकारी मदरसा बनाएगी? बीएसपी सरकार ने 100 मदरसों को यूपी बोर्ड में शामिल किया था।
मायावती ने कहा कि यूपी सरकार द्वारा विशेष टीम गठित करके लोगों के चंदों पर आश्रित प्राइवेट मदरसों के बहुचर्चित सर्वे का काम पूरा, जिसके अनुसार 7,500 से अधिक ’गैर-मान्यता प्राप्त’ मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस सरकार ने ’मदरसा आधुनिकीकरण’ के नाम पर वहां के छात्रों को उनकी पसंद की उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने के बजाय उन्हें ड्राइविंग, मैकेनिक, कारपेंटर आदि की ट्रेनिंग के जरिए छात्रों की तालीम व उन मदरसों का भी अपमान किया और अब आगे देखिए बीजेपी सरकार में उनका क्या होता है? उन्होंने कहा कि वैसे यूपी व देश के अन्य सभी राज्यों में भी सरकारी स्कूलों के साथ-साथ पूरी शिक्षा व्यवस्था के हालात जो लगातार बदतर होते चले जा रहे हैं वह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी सरकारें लापरवाह व उदासीन क्या इसलिए हैं कि वहां ज्यादातर गरीब व कमजोर वर्गों के बच्चे ही पढ़ते हैं?
7500 मदरसे ऐसे जिनकी मान्यता नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे गैर सरकारी मान्यताप्राप्त मदरसों का सर्वे बीती 10 सितंबर को आरंभ हुआ था। जिसक कार्य 20 अक्तूबर को पूरा हो गया। 1 महीने 5 दिन तक हुए सर्वे में प्रदेश में करीब 7500 मदरसे ऐसे मिले हैं, जिनकी मान्यता नहीं है। सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 585, बस्ती में 350 और मुजफ्फरनगर में 240 मदरसे बिना मान्यता मिले हैं। राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां पर 100 मदरसों की मान्यता नहीं है। यानी लखनऊ से पांच गुना ज्यादा मदरसे मुरादाबाद और तीन गुना ज्यादा बस्ती जिले में हैं। इसके अलावा, प्रयागराज-मऊ में 90, आजमगढ़ में 95 और कानपुर में 85 से ज्यादा मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं।