एजेन्सी/हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं का उल्लेख है। प्राय: हर देव का एक वाहन होता है। इसी प्रकार मां दुर्गा भी शेर की सवारी करती हैं। यूं तो भगवती के अनेक रूप हैं और उनमें वाहन भी अलग-अलग हैं परंतु सिंह को उनका प्रमुख वाहन माना जाता है। ऐसा क्यों है?
इस संबंध में शास्त्रों में अनेक कथाएं आती हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार मां दुर्गा कैलाश पर्वत का त्याग कर वन में तपस्या करने चली गईं। वे घोर तप कर रही थीं। तभी वहां एक शेर आया जो बहुत भूखा था।
उसने पार्वती को देखा तो उसे लगा कि इन्हें खाकर मैं पेट की भूख मिटा लूंगा। इस आशा के साथ वह वहीं बैठ गया। उधर देवी पार्वती तपस्या में लीन थीं। उनकी तपस्या से शिवजी प्रकट होकर उन्हें लेने आ गए। जब पार्वती ने देखा कि एक शेर भी उनकी काफी समय से प्रतीक्षा कर रहा था, तो वे उस पर अतिप्रसन्न हुईं।
उन्होंने शेर की प्रतीक्षा को तपस्या के समान माना। उन्होंने उसे वरदान के रूप में वाहन के तौर पर अपने साथ रहने का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार शेर मां भगवती का वाहन बन गया। शेर को शक्ति, भव्यता, विजय का प्रतीक माना जाता है। मां दुर्गा की कृपा से भक्त को ये वरदान स्वत: प्राप्त हो जाते हैं।