मां के जन्मदिन पर पहुंचकर सरप्राइज देना चाहते थे कैप्टन साठे

केरल के कोझिकोड हवाई अड्डे पर हुई विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले पायलट कैप्टन दीपक साठे शनिवार को अपनी मां के जन्मदिन पर अचानक उनके पास पहुंचने की तैयारी में थे। उनके भतीजे यशोधन साठे ने यह जानकारी दी। शनिवार को उनकी मां का 84 वां जन्मदिन था। यशोधन साठे ने बताया, ‘अपने परिजनों से कैप्टन की आखिरी मुलाकात मार्च में हुई थी। उसके बाद से वह लगातार फोन पर ही उनके संपर्क में थे। कैप्टन ने कुछ रिश्तेदारों से कहा था कि अगर फ्लाइट में जगह मिली, तो मां के जन्मदिन पर वह सरप्राइज विजिट करेंगे।’

कैप्टन साठे अपनी पत्नी के साथ मुंबई में रहते थे। उनकी मां नीला साठे और पिता वसंत साठे नागपुर में रहते हैं। नीला साठे ने कहा, ‘महामारी के कारण उन्होंने मुझे बाहर निकलने से मना किया था। उनका कहना था कि मुझे कुछ होगा तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। अचानक यह हादसा हो गया। भगवान की इच्छा के आगे हम क्या कर सकते हैं।’ वह बताती हैं कि कैप्टन साठे प़़ढाई से खेल तक हर क्षेत्र में अव्वल रहते थे। भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर रहे कैप्टन साठे महाराष्ट्र के पहले जवान थे, जिन्हें वायुसेना के सभी आठ पुरस्कार प्राप्त हुए थे। मां नीला साठे ने बताया, ‘वह हमेशा लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे। गुजरात बाढ़ के समय उन्होंने कंधे पर बैठाकर कई बच्चों को बचाया था।’ कैप्टन साठे के दो पुत्र धनंजय और शांतनु हैं। धनंजय बेंगलुर में और शांतनु अमेरिका में रहते हैं। एयर इंडिया से जु़ड़े सूत्रों का कहना है कि शांतनु को अमेरिका से भारत लाने की व्यवस्था की जा रही है।

दीपक को गर्व था, वह अपनों को ला रहे हैं घर

कैप्टन दीपक साठे को इस बात का गर्व था कि वंदे भारत मिशन के तहत वह विदेश में फंसे भारतीयों को स्वदेश ला रहे हैं। उनके चचेरे भाई नीलेश साठे ने अपनी फेसबुक पोस्ट में यह बात लिखी है। नीलेश ने पोस्ट में कैप्टन साठे से जु़ड़ी कई बातों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा, ‘दीपक ने मुझे एक हफ्ते पहले फोन किया था। जब मैंने वंदे भारत मिशन के बारे में पूछा तो उन्होंने ब़़डे गर्व से कहा कि वह खाड़ी देशों से अपने देशवासियों को वापस ला रहे हैं। उन्होंने करीब तीस साल पहले वायुसेना में रहते हुए भी एक विमान हादसे का सामना किया था। उस समय छह महीने अस्पताल में रहने के बाद भी अपने जज्बे के दम पर उन्होंने वापसी की थी।

दिपक की याद में कविता

नीलेश ने कहा कि उनके साथ केरल में हुए हादसे के बाद मुझे एक सैनिक की कविता याद आ रही है- अगर मैं युद्ध के मैदान में मर जाऊं तो मेरे शव को घर भेज देना। सीने पर मेरे मेडल रख देना और मां से कहना कि मैंने अपना सब कुछ दिया। मेरे पिता से कहना कि परेशान न हों, उन्हें अब मुझसे कोई तनाव नहीं मिलेगा। मेरे भाई से कहना कि अच्छे से पढ़े, अब मेरी बाइक की चाभी हमेशा उसके पास रहेगी। मेरी बहन से कहना कि परेशान न हो, अब उसका भाई इस सूर्यास्त के बाद नहीं उठेगा। और मेरी पत्नी से कहना कि मत रो, मैं एक सैनिक था, मेरा जन्म ही मरने के लिए हुआ था।’

परिजनों को टेबलटॉप हवाई अड्डों को लेकर चिंता

देशमुख कैप्टन दीपक साठे के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कैप्टन के परिजनों ने देश में टेबलटॉप हवाई अड्डों पर चिंता जताई है। देशमुख ने कहा, ‘परिवार के लोगों का कहना है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा हादसा फिर न हो।’

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