आप सभी को बता दें कि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं मां चंद्रघंटा और ऐसे में नवरात्र में तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करते है. ऐसे में मां के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इस कारण से मां को चंद्रघंटा कहा जाता है. आपको बता दें कि मां की पूजा से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और मां के भक्तों में वीरता, निर्भयता के साथ सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है. इसी के साथ मां के पूजन से तेज की प्राप्ति होती है और विद्यार्थियों को मां विद्या प्रदान करती हैं. कहते हैं मां चंद्रघंटा का स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है और मां की कृपा से सारे कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है.
कहा जाता है मां का ध्यान करने मात्र से इस लोक और परलोक दोनों में सद्गति प्राप्त होती है और मां सिंह की सवारी करती हैं इसी के साथ उनके गले में सफेद फूलों की माला शोभायमान है. कहा जाता है मां का उपासक सिंह की तरह निर्भय हो जाता है और इनके घंटे की ध्वनि भक्तों की प्रेतबाधा से रक्षा करती है और मां चंद्रघंटा के भक्त जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं. कहते हैं मां की आराधना से अहंकार का नाश होता है और मां की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. कहा जाता है माँ की आरधना से दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं.
इसी के साथ मां के पूजन से पहले उनका शृंगार करना चाहिए और मां चंद्रघंटा को शहद का भोग लगाया जाता है. इसी के साथ अगर आप चाहे तो मां को हलवे या मिठाई का भोग लगाएं. आपको बता दें कि मां चंद्रघंटा को नारंगी रंग पसंद है इस कारण से पूजा के समय इस रंग के वस्त्र धारण करें और माता के आशीर्वाद से नकारात्मक ऊर्जा को खत्म होने दे.