हालांकि पटुरानी की बेटी का भी कहना है कि 20 साल पहले उनकी तबीयत खराब होने के कारण धूप में आते ही उनकी त्वचा जलने लगती थी और बहुत गर्मी लगने लगती थी और पानी में जाते ही राहत मिल जाती थी। इसी के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी गुजारने का ये रास्ता खोज लिया और रोज तालाब में जाने लगीं। पटुरानी साल 1998 में ऐसा कर रही हैं। अब तो लोग ऐसा समझने लगे हैं कि तालाब में ही इस महिला की आत्मा बस गई है क्योंकि वो पूरा दिन तो उसी तालाब में बिताती हैं।