पश्चिम बंगाल के चुनाव में हिंदुत्व की जोरदार लड़ाई देखने को मिल रही है. एक ओर जहां जय श्रीराम के नारे को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, तो वहीं अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति अपना रही हैं. माना जा रहा है कि यही कारण है कि उन्होंने अपने नामांकन के लिए 11 मार्च का दिन चुना है. इस दिन महाशिवरात्रि का पर्व है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 11 मार्च को नंदीग्राम से चुनावी बिगुल फूकेंगीं. इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. नंदीग्राम में अस्थाई आवास और चुनाव कार्यालय का इंतजाम किया गया है. ममता बनर्जी 10 मार्च को पूर्व मिदनापुर के हल्दिया पहुंच जाएंगी, यहां रात्रि विश्राम से पहले मीटिंग करेंगी और अगले दिन नंदीग्राम जाएंगी. नामांकन दाखिल करने के लिए शिवरात्रि को खास वजह से चुना गया है. चर्चा है कि ममता बनर्जी शिवरात्रि के दिन नामांकन भरकर संदेश देना चाहती हैं कि वह शिव भक्त हैं और इस पावन हिंदू त्योहार को जीवन के बड़े काम के लिए चुना है. क्योंकि हिंदू कोई भी बड़ा काम पावन दिन को ही करते हैं.
माना जा रहा है कि महाशिवरात्रि पर चुनावी शंखनाद कर ममता बनर्जी की सोच है कि बीजेपी के जय श्रीराम नारे के मुकाबले में शिव का नाम खड़ा किया जा सके. वहीं ममता बनर्जी के चुनाव प्रचार की रणनीति का पूरा खाका भी तैयार कर लिया गया है. बताया गया है कि विरोधियों को चित करने के लिए ममता बनर्जी चुनाव प्रचार पैदल करेंगी. एक दिन में कई किलोमीटर तक पैदल चलने का प्लान है.
वहीं तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा है कि पार्टी मुझे नंदीग्राम से खड़ा करे या न करे, लेकिन मैं जिम्मेदारी लेता हूं कि ममता को यहां से हराऊंगा. बता दें कि नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी का नाम वैसे तो तय माना जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी ही लेगी. वहीं लेफ्ट फ्रंट ने भी नंदीग्राम सीट अब्बास सिद्दीकी के आईएसएफ के लिए छोड़ दी है. ऐसे में इस वक्त नंदीग्राम बंगाल विधानसभा चुनाव की सबसे हाई प्रोफाइल सीट बनती नजर आ रही है.
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