पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति ने श्रद्धालुओं से नवरात्रि के मौके पर तंग कपड़े पहनकर नहीं आने का अनुरोध किया है। यह अपील पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के लिए जारी की गई है। महाराष्ट्र देवस्थान समिति पश्चिमी महाराष्ट्र के 3000 से ज्यादा मंदिरों के मामले की देखभाल करती है।
समिति की अपील ने महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को यह चेतावनी जारी करने के लिए प्रोत्साहित किया है कि लादा गया ड्रेस कोड फतवा जैसा होगा और उसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष महेश जाधव ने कहा है कि कोई ड्रेस कोड लादा नहीं गया है। यह केवल श्रद्धालुओं से तंग कपड़े नहीं पहनने की अपील की गई है।
जाधव ने कोल्हापुर से फोन पर हुई बातचीत में कहा, ‘देश भर से हमें हजारों पत्र और ई-मेल मिले हैं। इसमें सुझाव दिया गया है कि मंदिर की पवित्रता को (उचित परिधान के माध्यम से) बनाए रखा जाए। समिति की दो महिला सदस्य भी इससे सहमत हैं। इसलिए हमने दो दिन पहले महालक्ष्मी मंदिर में आने वाले लोगों से उचित परिधान में आने की अपील करने का प्रस्ताव पारित किया है।’ उन्होंने कहा कि यदि कोई तंग कपड़े में आएगा या आएगी तो उसे प्रतिमा के दर्शन करने से नहीं रोका जाएगा। हम उन्हें उचित परिधान बदलने के लिए कक्ष भी मुहैया कराने के लिए तैयार हैं।
अहमदनगर जिले में शनी शिंग्नापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग करते हुए आंदोलन करने वाली तृप्ति देसाई ने कहा कि वह और उनकी समर्थक महालक्ष्मी मंदिर में ड्रेस कोड लादे जाने का विरोध करेंगी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से पूरी तरह खुद को ढंक कर आने को कहना या महिलाओं के लिए साड़ी को अनिवार्य करना फतवा के जैसा होगा। यह असंवैधानिक होगा और सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ होगा।
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