महाराष्ट्र में इन दिनों भाषा विवाद सुर्खियों में है। राज्य में मनसे कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने पर गैर मराठी लोगों को पीटा है। इसे लेकर राज्यपाल ने चिंता जाहिर की है।
महाराष्ट्र में छिड़े भाषा विवाद पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भाषाई नफरत से राज्य को नुकसान होगा। साथ ही उद्योग और निवेश पर भी असर पड़ेगा। इससे दूर रहने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर एक कॉफी टेबल बुक के विमोचन के अवसर पर राधाकृष्णन ने पूछा कि यदि आप आएं और मुझे पीटें, तो क्या मैं तुरंत मराठी में बात कर सकता हूं? अगर इस तरह की नफरत फैलाई गई तो राज्य में कोई उद्योग और निवेश नहीं आएगा। लंबे समय में हम राज्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि जब वह तमिलनाडु में सांसद थे तो उन्होंने एक समूह को दूसरे समूह की पिटाई करते देखा क्योंकि वे तमिल में बात नहीं कर रहे थे। मैं हिंदी नहीं समझ पाता और यह मेरे लिए एक बाधा है। हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व भी होना चाहिए।
राज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि राज्य में कोई भाषाई द्वेष नहीं है और राजनीतिक टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है।
क्या है महाराष्ट्र में भाषा विवाद
अप्रैल में महाराष्ट्र सरकार ने आदेश दिया था कि पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद प्र-मराठी संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। साथ ही सरकार पर इस नीति के तहत जबरदस्ती हिंदी थोपने का आरोप लगाया। हालांकि बाद में सरकार ने आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि हिंदी तीसरी भाषा होगी, लेकिन छात्र तभी दूसरी भाषा चुन सकते हैं जब 20 से ज्यादा बच्चे एक साथ आवेदन दें, जो शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, असंभव है।
इसके बाद मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने गैर-मराठी लोगों पर हमले किए। मुंबई में एक दुकानदार को मारा, क्योंकि उसने मराठी नहीं बोली और राज ठाकरे की आलोचना की। इसी तरह का एक मामला पुणे में भी हुआ, जहां एक व्यक्ति को पीटा गया।