कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उन्हें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव सौंपा है. विपक्षी पार्टियों की शुक्रवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की अगुवाई में बैठक हुई थी, जिसके बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव सौंपा.
अब इस मामले में सभी नजरें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर टिकी हैं. नायडू इस प्रस्ताव को रद्द भी कर सकते हैं और आगे बढ़ाने की मंजूरी भी दे सकते हैं. नायडू इस मामले पर कानूनी राय भी ले सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो इस पर फैसला लेने में कुछ समय लग जाएगा.
यह दिन देखना दुर्भाग्यपूर्ण: पूर्व CJI
फिलहाल इस मामले में कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कांग्रेस पार्टी के भीतर भी इस मामले को लेकर दो राय देखने को मिल रही हैं. देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने महाभियोग प्रस्ताव को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि वह एक आम नागरिक के तौर पर परिस्थितियों को देख रहे हैं. उन्होंने इस पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
‘रिटायर होने का इंतजार कर सकते थे’
पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कांग्रेस में महाभियोग प्रस्ताव को लेकर अलग-अलग राय होने पर कहा है, ‘हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं और मेरे पास अपनी असहमति जताने का हक है. अगर मुझसे इस प्रस्ताव पर साइन करने को कहा जाता तो मेरे पास इससे असहमति जताने की वजहें हो सकती थीं. वैसे, हमें संस्थानों के टकराव से बचना चाहिए. हम इससे बच सकते थे. हम चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने का इंतजार कर सकते थे. वैसे बता दूं कि यह मामला राजनीति से प्रेरित नहीं है और इसकी प्रक्रिया जज लोया के केस से काफी पहले शुरू हो गई थी.’
‘कांग्रेस को किसी पर भरोसा नहीं’
वहीं, इस मामले पर गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है, ‘वे सेना पर भरोसा नहीं करते, वे मुख्य न्यायाधीश पर भरोसा नहीं करते. वे चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते, वे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं करते, वे ईवीएम पर भरोसा नहीं करते, वे आरबीआई पर भरोसा नहीं करते, वे पीएमओ पर भरोसा नहीं करते, वे राष्ट्रपति पर भरोसा नहीं करते और फिर कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है. देश के लोग अब कांग्रेस पर ही भरोसा नहीं करते हैं. कांग्रेस देश के लोगों और देश के संस्थानों पर भरोसा नहीं करती है.’