पीके के साथ काम कर चुके सूत्र का कहना है कि पूरे चुनाव अभियान में भाजपा, जद(यू) के चुनाव प्रचार अभियान में भी तालमेल का आभाव दिखा। वहीं महागठबंधन ने इस बार एकजुटता से लड़ाई लड़ी। पूरे चुनाव अभियान के हीरो केवल तेजस्वी यादव बने रहे।

बिहार में मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे तेजस्वी यादव को तैयारी करने का संदेश दे दिया है। नीतीश कुमार का आखिरी दांव और तेजस्वी का कहना भी कि चाचा (नीतीश कुमार) अब बूढ़े हो गए हैं। राजनीति के पंडित भी मानते हैं कि इसकी सबसे बड़ी खुशी फिलहाल खुद को किंग मेकर बता चुके चिराग पासवान को हो रही होगी। उनका छोटा भाई तेजस्वी जो कुर्सी पर बेठने वाला है।
एबीपी-सी वोटर के सर्वे में भी महागठबंधन के ही सत्ता में आने के संकेत हैं। इन सर्वे एजेंसियों ने अपने नतीजे में नीतीश कुमार को बड़ा नुकसान और तेजस्वी यादव की पार्टी तथा महागठबंधन को बड़ा फायदा दिखाया है।
महागठबंधन को 108-131 सीट मिल सकती है। कांग्रेस के खाते में 29-31 सीटें जाती दिखाई गई हैं। वहीं एनडीए के खाते में 104-108 सीट आने की संभावना जताई गई है। लोजपा को 1-3 सीटों का अनुमान व्यक्त किया गया है।
सी वोटर एनडीए को 116, महागठबंधन को 120, पीपुल्स प्लस एनडीए को 110, महागठबंधन को 102-120, टूडे चाणक्या एनडीए को 55, महागठबंधन को 180 सीटें दे रहा है। लगभग सभी एक्जिट पोल के अनुमान में महागठबंधन की ही बढ़त दिखाई गई है।
पटना में राजनीति के उतार-चढ़ाव का कई बसंत देख चुके वरिष्ठ पत्रकार नीरज कुमार का मानना है कि तेजस्वी यादव द्वारा पहली ही कैबिनेट में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के वादे ने कमाल कर दिया। इससे बिहार के गांव-गाव में लोगों की रोजगार पाने की उम्मीद बढ़ गई।
बिहार में चुनाव पूर्व सर्वे के काम में तीन सप्ताह तक व्यस्त रहे सूत्र का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के बाद बिहार की तरफ लौटे लोगों ने नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खासी नाराजगी दिखाई।
चुनाव प्रचार के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ उत्तर प्रदेश, पंजाब में काम कर चुके सूत्र का कहना है कि लोजपा के चिराग पासवान का अलग चुनाव लड़ने का फैसला महागठबंधन को संजीवनी दे गया।
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