अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा जिसमें पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद को प्रतिबंधित करने की बात की गई है। इस कदम के बाद अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में चीन के साथ टकराव की स्थिति बन गई है।
चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल करने के प्रयास में इस महीने की शुरुआत में अड़ंगा डाल दिया था। संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में यह प्रयास अटक जाने के बाद अमेरिका अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को लेकर सीधे सुरक्षा परिषद पहुंच गया। मसौदा प्रस्ताव में इस आत्मघाती हमले की निंदा की गई है और निर्णय किया गया है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र के अल-कायदा एवं इस्लामिक स्टेट प्रतिबंधों की काली सूची में रखा जाएगा।
यह स्पष्ट नहीं है कि मसौदा प्रस्ताव पर मतदान कब होगा। इस पर चीन वीटो कर सकता है। परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ चीन शामिल है।
अभी तक अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए चार बार प्रयास किया जा चुका है। चीन ने पहले तीन प्रस्तावों पर रोक लगा दी थी और चौथे प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी है। जो करीब नौ महीने तक रहेगी। संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में जैश-ए-मोहम्मद को पहले ही 2001 में शामिल किया जा चुका है।
हिंसक आतंकवादी समूहों को बचा रहा है चीन: अमेरिका
दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों का उत्पीड़न करता है लेकिन हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।
उनका इशारा चीन के उस कदम की ओर था जब उसने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना हाफिज सईद को “वैश्विक आतंकवादी” घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में अडंगा डाल दिया था।
पोम्पिओ ने बुधवार को मसूद अजहर का नाम लिये बिना ट्वीट किया, “दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।’’
अब पाकिस्तान ने चीन से कहा- मसूद अजहर को बचाओ
पाकिस्तान ने अपने सदाबहार साथी चीन से कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकियों की सूची में मसूद अजहर को शामिल करने के लिए लगाए गए तकनीकी पेंच (वीटो) को हटा ले। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनायिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इससे सीमा पर चल रही तनातनी को कम करने में राहत मिलेगी और भारत-पाक की बातचीत के रास्ते भी खुलेंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने भी मसूद अजहर मामले में तकनीकी रूप से रोक लगाने के लिए चीन से कारण बताने को कहा है। जिसके बाद वह इस मामले में अन्य विकल्पों पर विचार करेगा।
न्यूयार्क में रह रहे अमेरिकी और भारतीय राजनायिकों के अनुसार, चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान की प्राथमिकता से अवगत कराया था, लेकिन उसकी दलीलों से ट्रंप प्रशासन प्रभावित नहीं हुआ। अमेरिका ने चीन से कहा कि मसूद अजहर के यूएन वैश्विक आतंकी सूची में शामिल होना भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत से किसी भी रूप में जुड़ा हुआ नहीं है।
अजहर मसूद को लेकर इस्लामाबाद की सोच में बदलाव देखा जा रहा है। पाकिस्तानी सैन्य प्रशासन ने 27 फरवरी को भारत को बताया था कि इस्लामाबाद खुद चीन से अजहर के वैश्विक आतंकी सूची में शामिल होने पर लगी रोक को हटाने के लिए आग्रह करेगा। हालांकि सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि अजहर मसूद या जैश पाकिस्तान में न तो मौजूद हैं न ही सक्रिय।