टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की जिस सोशल ऑडिट रिपोर्ट से मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ कांड का खुलासा हुआ है, टिस की उसी रिपोर्ट पर ‘मलाला फंड’ ने बिहार के दो एनजीओ को दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी है। इन दो एनजीओ में ‘सखी’ और ‘नारी गुंजन’शामिल हैं।
टिस द्वारा बिहार सरकार को सौंपी गई सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यहां के शेल्टर होम में बच्चों का जिस तरह यौन शोषण होता है, उसे पढ़कर मलाला फंड ने तत्काल प्रभाव से ‘सखी’ और ‘नारी गुंजन’ की फंडिंग रोक दी है। दरअसल, टिस की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में इन दोनों शेल्टर होम की भी चर्चा की गई है।
मलाला फंड के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर टेलर रॉयल ने कहा कि मलाला फंड केवल उसी एनजीओ को दिया जाता है, जो बच्चों पर होने वाले अत्याचार और शोषण के खिलाफ कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के दोनों एनजीओ ने मलाला फंड की इन शर्तों को स्वीकार करते हुए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
बता दें कि ‘सखी’ उन महिलाओं व बच्चियों को अपनी सुरक्षा व संरक्षा प्रदान करता है जो शारीरिक अत्याचार की शिकार हैं। साथ ही उन लड़कियों को भी संरक्षण प्रदान करता है जो मानसिक तौर पर बीमार हैं।