बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं हैं. शनिवार रात उनका दुबई में निधन हो गया था. उनके निधन से बॉलीवुड से लेकर राजनीति, उनके फैन्स और परिवार सभी सदमें में हैं. ऐसे में उनके चाहने वाले अब बस यही कह सकते हैं उनको मौक्ष की प्राप्ति हो और उनके आत्मा को शांति मिले. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मौत से पहले इंसान को अहसास होने लगता है. मगर क्या ये सच है? अगर हां तो उसके बाद क्या है? स्वर्ग और नर्क क्या है? इंसान मौक्ष की प्राप्ति कैसे करता है और सबसे बड़ा रहस्य ये है कि मरने से पहले इंसान देखता क्या है? अक्सर लोग बहुत सारी बातें करते हैं कि मरने से पहले ही अंदाजा लग जाता है कि वो जाने वाला है. मृत्यु एक बहुत रहस्यमयी घटना है जिसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन ज्यादातर लोग ये बता पाते हैं कि मरने से ठीक पहले उन्हें क्या दिखाई दे रहा है. एक शोध में हुए खुलासे के जरिए पता चलता है कि लोग मरने से ठीक पहले क्या देखते हैं और किसे देखते हैं.
मरने से पहले क्या देखते हैं लोग?
मरने से पहले कई तरह के विजन दिखते हैं और धुंधली सी परछाइयां दिखाई देती हैं. ऐसा बताया गया है कि लोगों को मरने से पहले जिस कमरे में वो होते हैं वहां के कोनो में परछाइयां दिखाई देती हैं. इन परछाइयों में कुछ लोग अपनी प्रियजनों को महसूस करते हैं या फिर अपने किसी प्रिय मृत व्यक्ति की परछाई दिखाई देती है. किसी को बीमार पिता दिखाई देते हैं.
कब होता है ऐसा?
परछाइयों का दिखना, अलग-अलग तस्वीर बनकर सामने आना, ऐसा मरने से कुछ दिन पहले या कुछ घंटे पहले होता है. इससे उन लोगों को अंदाजा लग जाता था कि उनका समय आ गया है. हालांकि, अकाल मौत में मरने वालों के साथ ऐसा नहीं होता.
2020 तक क्या होगी मौत की सबसे बड़ी वजह?
एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है कि 2020 तक प्रीमैच्योर डेथ्स के मामले में लिवर की बीमारी दिल की बीमारी से आगे निकल जाएगी. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक, ब्रिटेन के लोग सिर्फ एक महीने में 2 बिलियन पौंड पब में जानें में खर्च कर देते हैं.
मोटापा भी होगा जिम्मेदार
मेडिकल जर्नल लेंसेट में छपी स्टडी के मुताबिक, 2020 तक लिवर डिजीज हार्ट डिजीज से आगे निकल जाएगी और इसके लिए ऐल्कॉहॉल और मोटापा जिम्मेदार है. यह भी माना जा रहा है कि ये डेथ्स प्रीमैच्योर होंगी. रिसर्च में शामिल साउथहैंपटन के प्रोफेसर और लिवर एक्सपर्ट निक का कहना है, ‘ये यंग और मिडिल एज के लोग हैं. एक-तिहाई मरीज 40 साल के नीचे हैं.