पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने कई शहरों के नाम बदल दिए लेकिन ये बात लोगों को ख़ास पसंद नहीं आयी. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या विकास महज़ नाम बदलकर ही आ जाएगा. इस बात से भले ही सरकार को फ़र्क पड़े न पड़े लेकिन आरएसएस और विहिप से जुड़े लोगों को लगता है कि यही तरीक़ा है जिसके ज़रिये सब बदल जाएगा. असल में कुछ लोगों को इस बात से ही ऐतराज़ है कि किसी गाँव का नाम या शहर का नाम उर्दू में क्यूँ है.
कुछ इसी तरह का मामला पश्चिम बंगाल में सामने आया है. यहाँ पर एक स्कूल का नाम रातों रात बदल दिया गया. जनसत्ता अखबार की ख़बर के मुताबिक़ आरएसएस और बजरंग दल एक स्कूल से जुड़े हुए थे, तो जिस गाँव में ये स्कूल था उसका नाम इस्लामपुर था..जिसे रातों रात बदल कर इश्वरपुर कर दिया गया. पश्चिम बंगाल सरकार को जब इसकी ख़बर लगी तो उसने सख्त कार्यवाही की. इस्लामनगर में गली, चौराहों, और दीवारों पर रातों रात इश्वर नगर लिख दिया गया जो प्रशासन को नागवार गुज़रा.
दरअसल पश्चिम बंगाल में सरकारी दस्तावेजों में लिखे इस्लामपुर को रातों रात ईश्वरपुर कर दिया गया जिसमे सरकार की किसी भी तरह की कोई भी सहमति नहीं ली गई. बताया जा रहा है कि स्कूल का संचालन विहिप और आरएसएस के लोग करते हैं. स्कूल की इस हरकत के बाद स्कूल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है. पश्चिम बंगाल के उत्तर दीजापुर में स्थित इस्लामपुर के आरएसएस और वीएचपी के सरस्वती शिशु मंदिर के बोर्ड, कार्यालयों और वाहनों पर इस्लामपुर नाम को बदलकर रातो रात ईश्वरपुर कर दिया गया. जब इस बारे में प्रिंसिपल से पूछताछ की गई तो उन्होंने इस बात की कोई जानकारी न होने की बात कही. ममता बनर्जी सरकार ने स्कूल पर सख्त कार्यवाही करते हुए स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है.