भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रस्तावित रथ यात्रा को निकालने की मंजूरी दे दी. इससे पहले दिसंबर के पहले हफ्ते में कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस रथयात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन डिविजन बेंच ने इस फैसले पर रोक लगा दिया और 14 दिसंबर तक सरकार को रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दे दिया.
कलकत्ता हाईकोर्ट की डिविजन बेंच के इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी को राहत मिली है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसने इस मामले पर बीजेपी के प्रार्थना पत्र का जवाब क्यों नहीं दिया? पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था, जिसमें खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शामिल होने वाले थे. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद अमित शाह को अपना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द करना पड़ा.
अरुण जेटली का हमला
हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया है. पहले उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की पार्टी ईकाई को बधाई दी. फिर अपने अगले ट्वीट में विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि अगर यही फैसला एनडीए या बीजेपी सरकार ने विपक्षी कार्यक्रम पर लिया होता तो इसे ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया जाता. अब लोग चुप क्यों हैं? अपने अगले ट्वीट में कहा कि इस प्रकरण पर मानवाधिकार संगठन चुप क्यों हैं?
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एक रथयात्रा 7 दिसंबर से कूचबिहार से शुरू होने वाली थी, दूसरी रथ यात्रा 9 दिसंबर को 24 परगना से और तीसरी 14 दिसंबर को बीरभूमि के तारापीठ से निकाली जानी थी.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को प्रस्तावित रथयात्रा के लिए बीजेपी के प्रदेश नेताओं के साथ उसकी बैठक की फुटेज सौंपने को कहा था. महीने के शुरुआती हफ्ते में प्रशासन ने यात्रा को अनुमति देने से मना कर दिया था. बीजेपी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट को रथयात्रा की नई तारीखों (23, 26 और 27 दिसंबर) के बारे में जानकारी दे दी गई थी.
लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिससे मामला कलकत्ता हाईकोर्ट चला गया और हाईकोर्ट ने इन रथ यात्राओं के निकलने पर रोक लगा दी थी. बीजेपी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी.