मध्य प्रदेश : चंदेरी में प्रदेश का पहला क्राफ्ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज तैयार

मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के चंदेरी के हस्तशिल्प को दुनिया में पहचान देने के लिए प्रदेश का पहला क्राफ्ट हैंडलूम टूरिस्ट विलेज तैयार किया गया है। इस पर सात करोड़ 45 लाख रुपये की लागत आई है।

मध्य प्रदेश के अशोकनगर स्थित चंदेरी की देश-विदेश में अलग ही पहचान है। अति-प्राचीन इतिहास और पुरातत्व के साथ-साथ हाथ से बनने वाली चंदेरी साड़ी के लिए यह जगह विश्वविख्यात है। अब चंदेरी के प्राणपुर में देश का पहला क्राफ्ट हैंडलूम टूरिस्ट विलेज बनाया गया है।

मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड की पहल पर शिल्पकारों की कला को संरक्षित करने की कोशिश के तहत इस गांव को विकसित किया गया है। भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय एवं मध्य प्रदेश शासन ने सात करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से प्राणपुर चंदेरी में क्राफ्ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज विकसित किया है। इसका उद्देश्य स्थानिक बुनकरों एवं शिल्पकारों की कला को संरक्षित कर उन्हें बाजार मुहैया कराना है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस विलेज का लोकार्पण करना था। हालांकि, डॉ. यादव पहुंच नहीं सके और सिंधिया ने ही इस विलेज का लोकार्पण किया।  

मध्य प्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से बताया गया कि पर्यटन विभाग हस्तशिल्प उत्पादों की क्वालिटी डेवलपमेंट पर काम कर रहा है। कारीगरों को नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देने और उनके उत्पादों को बाजार देने की कोशिश के तहत ही यह विलेज डेवलप किया गया है। बुनकरों ने बताया कि प्रत्येक साड़ी पर कम से कम तीन दिन का समय लगता है। बुनकर परिवार 200 वर्षों से इस काम में लगे हैं और कई-कई पीढ़ियों से यह काम किया जा रहा है। 

मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के उमेश श्रोत्रिय ने बताया कि चंदेरी से चार किलोमीटर दूर स्थित प्राणपुर में यह टूरिज्म विलेज केंद्र और राज्य सरकार के विभागों ने विकसित किया है। इसके पीछे सोच यह है कि क्राफ्ट बाजार ही नहीं यहां संस्कृति से भी परिचय कराया जा रहा है। गांव तक पहुंचने के लिए 900 मीटर का एक मार्ग विकसित किया गाय है। साथ ही यहां एक एम्फी थिएटर बनाया है, जहां टूरिस्ट के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शटल चौक में तीन-चार पीढ़ियों के बुनकरों से बातचीत का मौका भी दिया गया है। उनके निवास को सौंदर्यीकरण किया गया है। गांव में एक कैफे भी बनाया गया है।  

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